Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रो मेवार्थ चतुर्विशति दण्डकक्रमेण प्ररूपयितुमाह-'जीवेणं भंते! नेरइयाओ कइ किरिए? 'हे भदन्त ? जीवः खलु नैरयिकात-नैयिकमपेक्ष्य प्राणातिपातसमापने कतिक्रियः प्रज्ञप्तः? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम! 'सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए' स्यात्-कदाचित् त्रिक्रिय स्यात्-कदाचित् चतुष्क्रिया,स्यात् कदाचित् अक्रियो भवति, ‘एवं जाव थणियकुमाराओ' एवम्-नैरयिकापेक्षया जीवोक्तरीत्या यावत्-असुरकुमारात्. नागकुमारात्, सुवर्णकुमारात्, अग्निकुमारात्, विद्युत्कुमाराद् उदधिकुमाराद् द्वोपकुमाराद् दिककुमारात् पवनकुमारात् स्तनितकुमात्, असुर कुमारादिदश भवनपतीनपेक्ष्य जीवः कदाचित् त्रिक्रियः, कदाचित् चतुष्क्रियः, कदाचिद क्रियो द्रष्टव्यः, 'पुढ विक्काइयाओ आउक्काइयाओ ते उक्काइयाओ वाउक्काइयवणप्फइकाइयबेइ दियतेइंदिय चउरिदिय पंचिं दिय तिरिक्खजोणिय मणुस्साओ जहा जीवाओ 'पृथिवीकायिकाद् अका देता है और तद्भव संबंधी शरीर से कोई क्रिया भी नहीं करता, उस समय अक्रिय होता है । यह अक्रियत्व मनुष्य को अपेक्षा से समझना चाहिए, क्यों की मनुष्य में हो सर्वविरति हो सकती है । अथवा अक्रियत्व सिद्धों की अपेक्षा से समझना चाहिए। क्योंकि उनमें न तो शारीरिक व्यापार होता हैं और न मानसिक व्यापार ही होता है ।
इसी आशय को चोवीसों दण्डकों के क्रम से प्ररूपित करने के लिए कहते है- हे भगवन् ! जीव, नारक, की अपेक्षा से प्राणातिपात की निष्पत्ति में कितनी क्रिया वाला होता है ?
श्री भगवान्-हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रिया वाला होता है, कदाचित चार क्रिया वाला होता है, कदाचित् अक्रिय होता है। ___ इसी प्रकार असुरकुमार, नागकुमार, सुवर्णकुमार, अग्निकुमार, विद्युत्कुमार, उदधि कुमार, द्वीपकुमार, दिककुमार, पवनकुमार स्तनितकुमार इन दश भवनपतियों की अपेक्षा से जीव कदाचित तीन क्रिया वाला होता है, कदाचित चार किया वाला होता है; और कदाचित अक्रिय होता है। અપેક્ષાથી સમજવું જોઈએ. કેમકે તેઓમાં ન તો શારીરિક વ્યાપાર થાય છે અને ન માનસિક વ્યાપાર થાય છે.
એ આશયને વીસ દંડકોના કમથી પ્રરૂપિત કરવાને માટે કહે છે-હે ભગવન્! જીવ નારકની અપેક્ષાએ પ્રાણાતિપાતની નિષ્પત્તિમાં કેટલી ક્રિયાવાળા થયા છે?
શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ ! કદાચિત ત્રણ કિયાવાળા થાય છે, કદાચિત્ ચાર કિયાવાળા થાય છે, કદાચિત અકિયાવાળા થાય છે,
એજ પ્રકારે અસુરકુમાર, નાગકુમાર, સુવર્ણકુમાર,અગ્નિકુમાર, વિદુકુમાર, ઉદધિકુમાર, દીપકુમાર, દિકુકમાર, પવનકુમાર, અને સ્વનિતકુમાર આ દશભવન પતિની અપેક્ષાથીજીવ કદાચિત ત્રણ ક્રિયાવાળા થાય છે, કદાચિત ચારકિયાવાળા થાય છે અને કદાચિત અક્રિય બને છે.
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫