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॥ २८ नक्षत्रोनी आकृति वगैरे विषयो संबंधी यंत्र ॥
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नक्षत्रनां नाम
आकृति
नक्षत्रना
आरम्भसिद्धि । 'रलमालाना' आधारे | नक्षत्र टीकाना आधारे | आधारे नक्षत्रोनी जन्माक्षरो | संख्या नक्षत्रोनी आकृति आकृतिनां नामो जु जे जो खा ३ शृङ्गाटकवत् गोशीर्षावळी
'अभिजित्
२
श्रवण
खी खू खे खो ३
त्रयपादवत्
कासार
धनिष्ठा
गा गी गू गे |
५
मृदङगाकारवत्
पक्षिपञ्जर
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संग्रहणीरल.(बृहत्संग्रहणी) गुजराती अनुवादसह
.
.
४ शतभिषक्
. १-व्यवहारमा अभिजित् सिवाय २७ नक्षत्रानुसारे सर्व व्यवहार प्रवर्ते छे; कारण के अभिजित् नक्षत्रनो चन्द्रमा साथेनो सहयोग स्वल्पकालीन होवाथी तेनी विवक्षा नथी, तो पण नक्षत्रो तो २८ ज छे अने अठ्ठावीशने आधारे लेवामां आवेल गणत्री श्री आरंभसिद्धि-श्री नारचन्द्रादि जैन ज्योतिष ग्रंथोमां प्रसिद्ध छे. .
गो सा सी सू १०० वर्तुलाकारवत्
पुष्पोपचार
......... ......... ....... .......
. .
:..... ....... .......
...... .
o/
५ पूर्वाभाद्रपद
से सो दा दी २
द्वियुगलवत्
वाप्यर्द्ध
६
उत्तराभाद्रपद दू ज झ था
२
पर्यङ्कवत्
अर्धवापी
७ रेवती
दे दो चा ची ३२ मुरजवत्नौकासंस्थान
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