Book Title: Sangrahaniratnam Bruhat Sangrahani Sutra
Author(s): Yashovijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala
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[ 43 ] पृष्ठांक | गाथांक
पृष्ठांक
२८८
____ओ ओयाहारा सव्वे
३८३ | १८४
३५३
गाथांक १२३ इत्थ य गइं चउत्थिं २०४ इय जिट्ठ जहन्ना पुण ४१ इय पढम जोयण सए ४५ इंद सम तायतीसा ६६ इंदय वट्टा पंतीसु १७४ ईसाणे चउलक्खा
६३
३४३ २६६
६६ २७८
६६ | १७७ कम्पतिय पम्हलेसा
| १३६ कप्पदुग दु दु दु चउगे ३४१|★१७ कप्पस्स अंतपयरे ।
*१११ कप्पेसु य मियमहिसो
| ३६ काले य महाकाले २६३ | ६१ किण्हं राहुविमाणं
| १७६ किण्हा नीला काऊ ५६४ | ३७ किन्नर किंपुरिसे सप्पुरिसा १३४ |७३ कुरुमंदर आवासा ३८४ | १८६ केसट्ठि मंस नहरोम
| ६० कोडाकोडी सन्नं
३३० उज्जुगइ पढमसमए ★१२६ उडु चंद रयय वग्गू २०० उड्ढं भवणवणाणं ३३५ उत्तम चरमसरीरा ६८ उद्धार सागर दुगे २०५ उवरि खिइ ठिइविसेसो १७० उववाओ देवीणं २ उववाय चवणविरहं २६५ उस्सेहंगुलजोयण
३७३ |
१२४ ३४३
८६ १४१ ३६२ १२३
५०८ / २२८ खाए तमए य तहा
४०४
१६० एए छ संघयणा १७५ एएण कमेण भवे ५२ एक्कारस जोयण सय ★१०० एगं देवे दीवे ★२८३ एगा य होइ रयणी ★३४७ एगा कोडी सतसट्ठी ३२१ एगिदिएसु पंचसु ११६ एयम्मि पुणो गुणिए ८२ एवं गहाइणो वि हु २८६ एसा पुढवाईणं
३२७ | २६७ गब्भ चउप्पय छग्गा
| २६० गब्भ नरतिपलिआऊ ११० | २८६ गब्म भुअ जलयरोभय । २६३ | २६६ गब्भे मुहुत्त बारस ।
२१३ गयणं च पइट्ठाणं ५६ गह अट्ठासी नक्खत्त
|६१ गह रिक्ख तारसंखं - २८६ | *४६ गंधव्व नट्ट हय गय __ १६६ | २७३ गुरु लहु मज्झिम दो चउ
४६६ | ३०१ गोला य असंखिज्जा
५१० ४४८ ४६७ ५१२ ३६७ १२१ २४८ १०२
४७०
५१३
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