Book Title: Sangrahaniratnam Bruhat Sangrahani Sutra
Author(s): Yashovijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala
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गाथांक
पृष्ठांक ४२० ४२२ १३०
३३०
५५१
३२१
६१
२४ चउ चउ लक्ख विहूणा २३ चउतीसा चउचत्ता ६५ चउदिसि चउपतीओ ★८३ चउयालसयं पढमि२६६ चउरंगुलो दुअंगुल ★२६७ चउरो आउहगेहे ३० चउसट्टि सट्ठि असुरे ३१८ चउसय गुणं पमाणं २७० चक्कं धणुहं खग्गो १६४ चत्तारि पंच जोयण ★२५ चत्तारि य कोडीओ ३ चमर बलि सारमहिअं २० चमरे बली अ धरणे १४१ चयपुव्वसरीराओ ३८ चिंधं कलंब सुलसे ११२ चुलसि असिइ बावत्तरि ६४ चुलसीइ लक्ख सत्ता २७ चूडामणि फणि गरुडे
।
[ ५४ ] पृष्ठांक | गाथांक
| २३८ छसु हिट्ठोवरि जोयण __७४ | ★२४२ छावट्ठसयं सोलस . ७३ | ६४ छावट्ठा दुनिसया २६० | १६२ छेवढेण उ गम्मइ १७२ ४५४ | ३२६ जइमे भागे बंधो ४५६ | १५५ जइ लिंग मिच्छ दिट्ठी
| ३६ जक्ख-पिसाय–महोरग ५३२ | १०७ जत्तो वट्टविमाणा ४६४ | ३०४ जया मोहोदओ तिव्वो
३६६ | १६६ जं च कामसुहं लोए ___७५ | १५१ जंति समुच्छिम तिरिया
१५ | १६६ जंति सुरा संखाउय ७० | २४६ जं देहपमाण उवरि ३०० | ३३४ जं पुण गाढनिकायण ___६१२६६ जंबूदीवे चउरो २७६ | ७० जंबू धायइ पुक्खर २५६ | ३३६ जेणाउमुवक्कमिज्जइ ७७ | *१०३ जे दक्खिणेण इंदा
२७६ जोइ दस देवी वीसं ३२५ | ★८५ जो जावइ लक्खाई ३२६] ३२० जोणीण होति लक्खा ४७२ | *१२७ जोयण लक्ख पमाणं ३६८ ५५ जोयणिग सट्ठि भागा ४१४ १६० | २६८ णेसप्पे पंडुए पिंगलए
२६८ ५.१७ ३३७
३१५ -- ३३३
४२६ ५६२
४६३
१३६
२६५
४७२
१७२
१५७ छउमत्थ संजयाणं १६१ छ गब्भ तिरिनराणं २७५ छच्च वणस्सइ दस तिरि १६६ छढिं छग्गेविजा २३५ छनवइ सय तिपन्ना ★८१ छप्पन्नं पंतीओ
५३७ २६१ ११४
४६१
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