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gratuit टोका पद १७ ० ६ मनुष्यसंमानाहारादिनिरूपणम्
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सरागसंयतास्ते द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - प्रमत्तसंयताश्च, अप्रमत्तसंयताश्च तत्र खलु ये ते अप्रमत्तसंयतास्तेषाम् एका मायाप्रत्यया क्रिया क्रियते तत्र खलु ये ते प्रमत्तसंयता स्तेषां द्वे क्रिये क्रियेते आरम्भिकी, मायाप्रत्यया च तत्र खल ये ते संयतासंयतास्तेषां तिस्रः क्रिया क्रियन्ते, तद्यथा - आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्ययाच, तत्र खलु ये ते असंयतास्तेषां चतस्रः क्रियाः क्रियन्ने, तद्यथा - आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानक्रिया च तत्र खलु ये ते मिथ्यादृष्टयो ये सम्यग्मिथ्यादृष्टयस्तेषां नैयतिकाः पञ्चक्रियाः क्रियन्ते, तद्यथा - आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानक्रिया, मिथ्यादर्शनप्रत्यया च शेषं यथा नैरयिकाणाम् ॥ सू० ६ ॥
संजता) उनमें जो वीतराग संयमी हैं (ते णं अकिरिया) वे क्रियारहित हैं (तस्थ णं जे ते सरागसंजता) उनमें जो सरागसंयमी हैं (ते दुबिहा पण्णत्ता) वे दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा - पमत्त संजता घ अपमत्तसंजता य) वे इस प्रकारप्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत (तत्थ णं जे ते अपमत्त संजया तेसिं एगा मायावत्तिया किरिया कज्जइ) उनमें जो अप्रमत्त संगत हैं उनको एक मायाप्रत्यया क्रिया होती है (तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया तेसिं दो किरियाओ कज्जति) उनमें जो प्रमत्तसंगत हैं उनको दो क्रियाएं होती हैं (आरंभिया मायावत्तिया य) आरंfrat और मायाप्रत्यया (तत्थ णं जे ते संजय संजया तेसिं तिन्नि किरियाओ कज्जंति) उनमें जो संयतासंयत हैं उनको तीन क्रियाएं होती हैं (तं जहा- आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया) आरंभिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया (तत्थ णं जे ते असंजया) उनमें जो असंयमी हैं ( तेसिं चत्तारि किरियाओ कज्जति) उनको चार क्रियाएं होती हैं (तं जहा- आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया ) वे इस प्रकार - आरंभिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया और अप्रत्याख्यानक्रिया ।
अकिरिया) तेथे या रहित छे (तत्थणं जे ते सरागसंयता) ते मां ने सराग संयभी छे (ते दुविधा पण्णत्ता) तेथे मे अभरना छे ( तं जहा पमत्तसंजता य अपभत्तसंजता य) तेमामा प्रारे-प्रमत्त संयंत मने अप्रमत्त संयंत (तत्थणं जे से अपमत्त संजया तेसि एगा मायावत्तिया किरिया कज्जइ) तेयाभां અપ્રમત્ત સયત છે, તેમની એક માયા अत्यया दिया थाय छे (तत्थणं जे ते पमत्त संजया तिसि दो किरियाओ कज्जंति) तेथेाभां
प्रमत्तसयत छे, तेमनी में डियागो थाय छे (आरंभिया मायावत्तिया य) मारलिडी અને भायाप्रत्यया (तत्थणं जे ते संजयासंजया बेसि तिन्नि किरियाओ कज्जंति) तेयामां ने संयता संयंत छे तेभनी शुदिया। थाय छे (तं जहा- आरंभिया, परिग्गहिया मायावत्तिया) मारमिठी पारिश्रडिडी भाया प्रत्यया (तत्थणं जे ते असंजया) तामां संयमी छे (तेसिं चत्तारि किरियाओ कज्जंति) तेभनी यार या थाय छे (तं जहा- आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया ) ते या प्रारे सारं लिही, પારિગ્રહિકી, માયાપ્રત્યયા, અને અપ્રત્યાખ્યાન ક્રિયા
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