Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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स्नेह-युक्त और विचित्र वर्ण की उल्काओं का फल श्याम वर्ण की उल्काओं का फल अनि, मंजिष्ट, नील आदि विभिन्न वर्ण और तलवार, क्षुरिका आदि विभिन्न आकृतियों की उल्काओं का फल ब्राह्मणादि वर्गों के लिए उल्काओं का इष्टानिष्ट फल दिशाओं के अनुसार उल्काओं का फल वत्साकार उल्का का फल हाथी, मगर के आकर की उल्काओं का फल गड़गड़ाती उल्काओं का फल वेगवाली, कठोर आदि नाना तरह की उल्काओं का फल अष्टापद, पद्य, श्रीवृक्ष, चन्द्र, सूर्य आदि आकारों की उल्काओं का फलादेश नक्षत्रों को छोड़कर गमन करने वाली उल्का का फल
आक्रमण करने वाले व्यक्ति के लिए चन्द्रादि ग्रहों का बल विद्युत् संज्ञक उल्का और उसका फल उल्का के गिरने का स्थानानुसार फल राजभय सूचक उल्काएँ चारों वर्गों के लिए भयोत्पन्न करनेवाली उल्काएँ स्थायी नागरिकों को भय सूचक उल्काएँ अस्तकालीन उल्काओं का फल प्रतिलोभ मार्ग से जाने वाली उल्काएँ भयोत्पादक, जयसूचक और वधसूचक उल्काएँ सेनाओं के लिए उल्काओं का फल परिघा का स्वरूप विभिन्न मागों से गिरने वाली उल्काओं का सेना के लिए फल डिम्भरूप उल्का का फल जन्म नक्षत्र में बाणसदृश गिरने वाली उल्का का फल पापरूप उल्काओं का फल