________________ संत्रास का कारण बनता है। तात्पर्य यह है कि पुण्यवान् और पापिष्ट जीव आते ही अपने स्वरूप का परिचय करा देते हैं, इसी नियम के अनुसार उत्पला के गर्भ से जन्मा हुआ बालक हस्तिनापुर के विशाल गोमण्डप में रहने वाले गाय आदि अनेकों मूक प्राणियों के भय और संत्रास का कारण बना। जैनागमों का पर्यालोचन करने से पता चलता है कि उत्पन्न होने वाले बालक या बालिका के नामकरण में माता-पिता का गुणनिष्पत्ति की ओर अधिक ध्यान रहता था, बालक के गर्भ में आते ही माता पिता को जिन-जिन बातों की वृद्धि या हानि का अनुभव होता, अथच जन्म समय उन्हें उत्पन्न हुए बालक में जो विशेषता दिखाई देती, उसी के अनुसार वे बालक का नामकरण करने का यत्न करते, स्पष्टता के लिए उदाहरण लीजिए श्रमण भगवान् महावीर का परमपुण्यवान् जीव जब त्रिशला माता के गर्भ में आया तब से उन के यहां धन-धान्यादि सम्पूर्ण पदार्थों की वृद्धि होने लग पड़ी। इसी दृष्टि से उन्होंने भगवान का वर्द्धमान यह गुणनिष्पन्न नामकरण किया। अर्थात् उन का वर्द्धमान यह नाम रक्खा गया। इसी भांति धर्म में दृढ़ता होने से दृढ़प्रतिज्ञ और देव का दिया हुआ होने से देवदत्त इत्यादि नाम रक्खे गए। इसी विचार के अनुसार बालक के जन्म लेने पर उस के माता-पिता उत्पला और भीम ने विचार किया कि जन्म लेते ही इस बालक ने बड़ा भयंकर चीत्कार किया, जिस के श्रवण से सारे हस्तिनापुर के गो वृषभादि जीव संत्रस्त हो उठे, इसलिए इस का गुणनिष्पन्न नाम गोत्रासक (गो आदि पशुओं को त्रास पहुंचाने वाला) रखना चाहिए, तदनुसार उन्होंने उस का गोत्रास ऐसा नामकरण किया। संसारवर्ती जीवों को पुत्र प्राप्ति से कितना हर्ष होता है, और खास कर जिन के पहले पुत्र न हो, उन को पुत्र-जन्म से कितनी खुशी होती है, इस का अनुभव प्रत्येक गृहस्थ को अच्छी तरह से होता है। बड़ा होने पर वह धर्मात्मा निकलता है या महा अधर्मी, एवं पितृभक्त निकलता है या पितृ-घातक, इस बात का विचार उस समय माता-पिता को बिल्कुल नहीं होता और ना ही इस की ओर उन का लक्ष्य जाता है किन्तु पुत्र प्राप्ति के व्यामोह में इन बातों को प्रायः सर्वथा वे विसारे हुए होते हैं। अस्तु! उत्पला और भीम को भी पुत्र प्राप्ति से बड़ा हर्ष हुआ। वे उसका बड़ी प्रसन्नता से पालन-पोषण करने लगे और बालक भी शुक्लपक्षीय चन्द्र-कलाओं की भांति बढ़ने लगा। अब वह बालकभाव को त्याग कर युवावस्था में प्रवेश कर रहा है अर्थात् गोत्रास अब बालक-शिशु नहीं रहा किन्तु युवक बन गया है। भीम और उत्पला पुत्र के रूप सौन्दर्य को देख कर फूले नहीं समाते। परन्तु समय की गति बड़ी विचित्र प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / द्वितीय अध्याय [283