________________ पच्चायाहिति-उत्पन्न होगा, अर्थात् कन्या और बालक दो का जन्म होगा। तते णं-तदनन्तर / तस्स-उस। दारगस्स-बालक के। अम्मापियरो-माता-पिता। णिव्वत्तबारसाहगस्स-जन्म से बारहवें दिन उस का। इमं-यह। एयारूवं-इस प्रकार का। नामधेजं-नाम। करिस्संति-रक्खेंगे। दारए-यह बालक। सगडेशकट। णामेणं-नाम से। होउ णं-हो अर्थात् इस बालक का नाम शकट कुमार रखा जाता है तथा। दारिया-यह कन्या। सुदरिसणा-सुदर्शना नाम से। होउ णं-हो, अर्थात् इस बालिका का नाम सुदर्शना रखा जाता है। तते णं-तदनन्तर। से-वह। सगडे-शकट नामक / दारए-बालक। उम्मुक्कबालभावेबालभाव को त्याग कर। जोव्वण०-युवावस्था को प्राप्त होता हुआ भोगोपभोग में समर्थ / भविस्सतिहोगा। तए णं-तदनन्तर। से-वह। सुदरिसणा वि दारिया-सुदर्शना बालिका भी। उम्मुक्कबालभावाबाल भाव को त्याग कर। विण्णाय-विशिष्ट ज्ञान को प्राप्त तथा बुद्धि आदि की परिपक्वता को उपलब्ध हो। जोव्वणगमणुप्पत्ता-यौवन को प्राप्त हुई। रूवेण-रूप से। जोव्वणेण य-और यौवन से। लावण्णेण य-तथा लावण्य-आकृति की सुन्दरता, से। उक्किट्ठा-उत्कृष्ट-उत्तम तथा। उक्किट्ठसरीरया-उत्कृष्ट शरीर वाली। भविस्सति-होगी। तए णं-तदनन्तर / से-वह / सगडे-शकट / दारए-बालक / सुदरिसणाएसुदर्शना को। रूवेण य-रूप और। जोव्वणेण य-यौवन तथा। लावण्णेण य-लावण्य में। मुच्छिते ४मूर्छित, गृद्ध, ग्रथित और अध्युपपन्न हुआ। सुदरिसणाए-सुदर्शना। भइणीए-बहिन के। सद्धिं-साथ। उरालाइं-उदार-प्रधान। माणुस्सगाई-मनुष्य सम्बन्धी / भोगभोगाई-विषय भोगों का। भुंजमाणे-उपभोग करता हुआं। विहरिस्सति-विहरण करेंगा। तते णं-तदनन्तर। से-वह। सगडे-शकट। दारए-बालक। अन्नया कयाइ-किसी अन्य समय। सयमेव-स्वयं ही। कूडग्गाहत्तं-कूटग्राहित्व-कूट-कपट से अन्य प्राणियों को अपने वश में करने की कला को। उवसंपज्जित्ता णं-संप्राप्त कर के। विहरिस्सति-विहरण करेगा। तते णं-तदनन्तर / से-वह। सगडे-शकट। दारए-बालक। कूडग्गाहे-कूटग्राह अर्थात् कपट से जीवों को वश में करने वाला। भविस्सति-होगा जो कि ।अहम्मिए-अधर्मी / जाव-यावत् / दुप्पडियाणंदेदुष्प्रत्यानन्द-कठिनता से प्रसन्न होने वाला होगा। एयकम्मे ४-एतत्कर्मा-इन कर्मों के करने वाला, एतत्प्रधान-इन कर्मों में प्रधान, एतद्विद्य-इस विद्या-विज्ञान वाला और। एतत्समाचार-इन कर्मों को ही अपना सर्वोत्तम आचरण बनाने वाला, वह / सुबहुं-अत्यधिक। पावकम्मं-पाप कर्म को। समजिणित्ताउपार्जित कर / कालमासे-कालमास में-मृत्यु का समय आने पर। कालं किच्चा-काल कर के। इमीसेइस / रयणप्पभाए-रत्नप्रभा नामक। पुढवीए-पृथ्वी-नरक में।णेरइयत्ताए-नारकी रूप से। उववजिहितिउत्पन्न होगा। तहेव-तथैव / संसारो-संसारभ्रमण। जाव-यावत्। पुढवीए०-पृथिवीकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा। ततो-वहां से। से णं-वह / उव्वट्टित्ता-निकल कर। अणंतरं-अन्तररहित / वाणारसीएवाराणसी-बनारस। णयरीए-नगरी में। मच्छत्ताए-मत्स्य के रूप में। उववजिहिति-उत्पन्न होगा। से णं-वह। तत्थ-वहां। मच्छवधिएहि-मत्स्यवधिकों-मछली मारने वालों के द्वारा। वधिए-हनन किया हुआ। तत्थेव-उसी। वाणारसीए-बनारस। णयरीए-नगरी में। सेट्ठिकुलंसि-श्रेष्ठिकुल में। पुत्तत्ताएपुत्ररूप से। पच्चायाहिति-उत्पन्न होगा, वहां। बोहिं०-सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा। पवजा-प्रवज्यासाधुवृत्ति को अंगीकार करेगा। सोहम्मे कप्पे०-सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा वहां से। आदि पदों की अर्थावगति के लिए देखो द्वितीय अध्याय। प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / चतुर्थ अध्याय [473 अध्याय