________________ प्रकट करने के लिए दौड़ी चली आ रही है। अन्त में बड़े समारोह के साथ महाराज महासेन की अरथी उठाई गई और उन का विधिपूर्वक दाहसंस्कार किया गया। - महाराज महासेन की मृत्यु के बाद उन की लौकिक मृतक क्रियाएं समाप्त होने पर प्रजाजनों ने युवराज सिंहसेन को राज्यसिंहासन पर बिठलाने के लिए, उनके राज्याभिषेक की तैयारी की और राज्याभिषेक कर के उसे सिंहासनारूढ़ किया गया। तब से युवराज सिंहसेन महाराज सिंहसेन के नाम से प्रख्यात होने लगे। महाराज सिंहसेन भी पिता की भान्ति न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करने लगे और अपने सद्गुणों एवं सद्भावनाओं से जनता के हृदयों पर अधिकार जमाते हुए राज्यशासन को समुचित रीति से चलाने लगे। ... -रिद्ध-तथा-अहीण. जुवराय-यहां के बिन्दु से अभिमत पाठ क्रमशः द्वितीय तथा पंचम अध्याय में लिखा जा चुका है। तथा-अब्भुग्गत०-यहां के बिन्दु से सूत्रकार को निम्नोक्त पाठ अभिमत है-- ... अब्भुग्गयमुसियपहसियाई विव मणि-कणग-रयण-भत्ति-चित्ताई वाउद्भूतविजय-वेजयंती-पडागाच्छत्ताइच्छत्तकलियाई तुंगाइं गगणतलमभिलंघमाणसिहराई जालंतरयणपंजरुम्मिल्लियाई व्व मणिकणगथूभियाई वियसितसयपत्तपुंडरीयाई तिलयरयणद्धयचंदच्चित्ताईनानामणिमयदामालंकिए अन्तो बहिं च सण्हे तवणिजरुइलवालुयापत्थरे सुहफासे सस्सिरीयरूवे पासाइए दंसणीए अभिरूवे पडिरूवे, तेसिं णं पासादवडिंसगाणं बहुमझदेसभागे एत्थणं एगंच णं महं भवणं कारेन्ति अणेगखंभसयसन्निविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं अब्भुग्गयसुकयवइरवेइयातो-रयणवररइयसालभंजियासुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्थवेरुलियखंभनानामणिकणगरयणखचियउज्जलं बहुसमसुविभत्तनिचियरमणिज्जभूमिभागंईहामियउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिन्नररुरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गयवयरवेइयापरिग्गयाभिरामं विजाहरजमलजुयलजंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं कंचणमणिरयणथूभियागं नाणाविहपंचवण्णघण्टापडागपरिमण्डियग्गसिहरं धवलमिरीचिकवयं विणिम्मुयंतं लाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितलं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुञ्जोवयारकलियं कालागरुपवरकुन्दुरुक्कतुरुक्कधूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामं सुगन्धवरगन्धियं गंधवट्टिभूयं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं-इन पदों का अर्थ निम्नोक्त है प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / नवम अध्याय [681