________________ गई। एक तरुण महिला छत्र लेकर उस के पीछे बैठ गई। दो युवतियां हाथों में चंवर लेकर मेघकुमार पर ढुलाने लगीं। एक अन्य तरुण सुन्दरी पंखा लेकर पालकी में आई और वहां मेघकुमार के उष्णताजन्य संताप को दूर करने का यत्न करने लगी। एक स्त्री झारी लेकर वहां आई, वह भी वहां पूर्व-दक्षिण दिशा की ओर खड़ी हो गई। ऐसे वैभव से मेघकुमार को उस पालकी में बिठलाया गया। पालकी की तैयारी होने पर महाराज श्रेणिक ने समान रंग, समान आयु और समान वस्त्र वाले एक हजार पुरुषों को बुलाया। आज्ञा मिलने पर वे पुरुष स्नानादि से निवृत्त हो, वस्त्राभूषण पहन कर वहां उपस्थित हो गए। महाराज श्रेणिक की ओर से पालकी उठाने की आज्ञा मिलने पर उन्होंने पालकी को अपने कंधों पर उठा लिया और राजगृह के बाज़ार की ओर चलने लगे। एक राजा अपने राज्य को त्याग कर दीक्षा ले रहा है, ऐसी सूचना मिलने पर कौन ऐसा भाग्यहीन आदमी होगा जो इस पावन दीक्षामहोत्सव में सम्मिलित न हुआ होगा ? सारे / नागरिक दीक्षामहोत्सव को देखने के लिए जलप्रवाह की भांति उमड़ पड़े। राज्य की समस्त सेना भी उपस्थित हुई। सारांश यह है कि वहां महान् जनसमूह एकत्रित हो गया तथा सब लोग जय-जयकार से आकाश को प्रतिध्वनित करते हुए दीक्षायात्रा की शोभा में वृद्धि करने लगे। ___मेघकुमार की सहस्रपुरुषवाहिनी पालकी बड़े वैभवपूर्ण समारोह के साथ नगर के बीच में से होकर चली। सब के आगे सेना थी और महाराज श्रेणिक भी उसी के साथ थे। सेना के पीछे मंगलद्रव्य थे और उनके पीछे मेघकुमार की पालकी थी। पालकी के पीछे जनता थी। इस प्रकार धूमधाम से मेघकुमार की पालकी जहां महामहिम, करुणा के सागर, दीनों के नाथ, पतितपावन, दयानिधि श्रमण भगवान् महावीर स्वामी विराजमान थे उस ओर अर्थात् गुणशिलक उद्यान की ओर चली। वहां उद्यान के समीप पहुँचने पर पालकी नीचे रक्खी गई और मेघकुमार तथा उस की माता आदि सब उस में से उतर पड़े। मेघकुमार को आगे करके महाराज श्रेणिक और महारानी धारिणी जहां पर भगवान् महावीर स्वामी विराजमान थे, वहां पहुंचे। सब ने विधिपूर्वक भगवान् को वन्दन किया। तदनन्तर मेघकुमार की ओर संकेत कर के महारानी धारिणी तथा महाराज श्रेणिक ने बड़े विनम्रभाव से भगवान् से प्रार्थित स्वर में कहा ____भगवन् ! हम आप को एक शिष्य की भिक्षा देने लगे हैं, आप इसे स्वीकार करने की कृपा करें। यह मेघकुमार हमारा इकलौता बेटा है / यह हमें प्राणों से भी अधिक प्रिय है, परन्तु इस की भावना आप श्री के चरणों में दीक्षित हो कर आत्मकल्याण करने की है। यद्यपि यह राज्यवैभव के अनुपम कामभोगों में पला है तथापि कीच में पैदा हो कर कीच से अलिप्त रहने 1. माता धारिणी के एक ही पुत्र होने के कारण मेघकुमार को इकलौता बेटा कहा गया है। . 932 ] श्री विपाक सूत्रम् / प्रथम अध्याय [द्वितीय श्रुतस्कन्ध