________________ पदों का ग्रहण अभिमत है। इन का अर्थ पदार्थ में दिया जा चुका है। तथा-करयल जाव . पडिसुणेति-यहां के बिन्दु तथा-जाव-यावत्-पद से तृतीय अध्याय में पढ़े गएकरयलपरिग्गहियं दसणहं अंजलिं मत्थए कट्ट-इन पदों का, तथा-तहत्ति आणाए विणएणं वयणं-इन पदों का ग्रहण कराना सूत्रकार को अभिमत है। प्रस्तुत सूत्र में महारानी श्यामा का चिन्तातुर होना तथा उस की चिन्ता को विनष्ट करने की प्रतिज्ञा कर महाराज सिंहसेन का अपने अनुचरों को नगर के पश्चिम भाग में एक विशाल कूटाकारशाला के निर्माण का आदेश देना और उसके आदेशानुसार शाला का तैयार हो जाना आदि बातों का वर्णन किया गया है। अब सूत्रकार उस शाला से क्या काम लिया जाता है, इस बात का वर्णन करते हैं मूल-तते णं से सीहसेणे राया कयाइ एगूणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणाई पंचमाइसयाइं आमंतेति। तते णं तासिं एगूणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणगाइं पंचमाइसयाइं सीहसेणेणं रण्णा आमंतियाइं समाणाइंसव्वालंकारविभूसिताइं जहाविभवेणं जेणेव सुपइटे णगरे जेणेव सीहसेणे राया तेणेव उवागच्छंति। तते णं से सीहसेणे राया एगूणगाणं पंचदेवीसयाणं एगूणगाणं पंचमाइसयाणं कूडागारसालं आवसहं दलयति।तते णं से सीहसेणे राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेति सद्दावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! विउलं असणं 4 उवणेह सुबहु, पुष्फवत्थगंधमल्लालंकारं च कूडागारसालं साहरह। तते णं ते कोडुंबिया पुरिसा तहेव जाव साहरंति।तते णं तासिं एगूणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणगाई पंचमाइसयाइं सव्वालंकारविभूसियाइं तं विउलं असणं 4 सुरं च 6 आसादेमाणाइं 4 गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगिज्जमाणाई विहरन्ति।ततेणं से सीहसेणे राया अड्ढरत्तकालसमयंसि बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता कूडागारसालाए दुवाराई पिहेति पिहित्ता कूडागारसालाए सव्वतो समंता अगणिकायं दलयति। ततेणं तासिं एगूणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणगाइं पंचमाइसयाइं सीहसेणेणं रण्णा आलीवियाइं समाणाइं रोयमाणाई 3 अत्ताणाइं असरणाई कालधम्मुणा संजुत्ताई। तते णं से सीहसेणे राया एयकम्मे 4 सुबहुं पावं कम्मं समजिणित्ता चोत्तीसं वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए [प्रथम श्रुतस्कंध 702 ] श्री विपाक सूत्रम् / नवम अध्याय