________________ बुझिहिति, मुच्चिहिति, परिनिव्वाहिति, सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति।णिक्खेवो। ॥छटुं अज्झयणं समत्तं॥ छाया-स गौतम ! नन्दिषेणः कुमारः षष्टिं वर्षाणि परमायुः पालयित्वा कालमासे कालं कृत्वा अस्यां रत्नप्रभायां पृथिव्यां संसारस्तथैव यावत् पृथिव्याम् / ततो हस्तिनापुरे नगरे मत्स्यतयोपपत्स्यते / स तत्र मात्स्यिकैर्वधितः सन् तत्रैव श्रेष्ठिकुले बोधि सौधर्मे महाविदेहे० सेत्स्यति, भोत्स्यते, मोक्ष्यते, परिनिर्वास्यति सर्वदुःखानामन्तं करिष्यति। निक्षेपः। // षष्ठमध्ययनं समाप्तम्॥ पदार्थ-गोतमा !-हे गौतम ! से-वह।णंदिसेणे-नन्दिषेण / कुमारे-कुमार। सट्ठि-साठ। वासाइंवर्षों की। परमाउं-परमायु को। पालइत्ता-पालकर-भोग कर। कालमासे-मृत्यु के समय में। कालं किच्चा-काल कर के। इमीसे-इस। रयणप्पभाए-रत्नप्रभा नाम की। पुढवीए०-पृथिवी में-नरक में उत्पन्न होगा तथा अवशिष्ट। संसारो-संसारभ्रमण। तहेव-पूर्ववत् जान लेना चाहिए। जाव-यावत्। पुढवीए०-पृथिवीकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा। ततो-वहां से अर्थात् पृथिवीकाया से निकल कर। हत्थिणाउरे-हस्तिनापुर / णगरे-नगर में। मच्छत्ताए-मत्स्यरूप से। उववजिहिति-उत्पन्न होगा। से णंवह। तत्थ-वहां पर। मच्छिए-हि-मात्स्यिकों-मत्स्यों का वध करने वालों से। वहिते समाणे-वध को प्राप्त होता हुआ। तत्थेव-वहीं पर। सिढिकुले०-श्रेष्ठिकुल में उत्पन्न होगा, वहां पर। बोहिं०-बोधिलाभ अर्थात् सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा, तथा। सोहम्मे-सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा। वहां से च्यव कर। महाविदेहे-महाविदेह क्षेत्र में जन्मेगा वहां पर चारित्र का आराधन कर। सिज्झिहिति-सिद्ध होगा। बुझिहिति-केवल ज्ञान को प्राप्त कर सकल पदार्थों को जानने वाला होगा। मुच्चिहिति-सम्पूर्ण कर्मों से मुक्त होगा। परिनिव्वाहिति-परम निर्वाण पद को प्राप्त करेगा। सव्वदुक्खाणं-सर्व प्रकार के दुःखों का) अंत-अन्त। करेहिति-करेगा। णिस्खेवो-निक्षेप-उपसंहार पूर्ववत् जान लेना चाहिए। छटुंछठा। अज्झयणं-अध्ययन। समत्तं-सम्पूर्ण हुआ। मूलार्थ-हे गौतम ! वह नन्दिषेण कुमार साठ वर्ष की परम आयु को भोग कर मृत्यु के समय में काल करके इस रत्नप्रभा नामक पृथिवी-नरक में उत्पन्न होगा। उस का शेष संसारभ्रमण पूर्ववत् समझना अर्थात् प्रथम अध्ययनगत वर्णन की भांति जान लेना, यावत् वह पृथिवीकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा। पृथिवीकाया से निकलकर हस्तिनापुर नगर में मत्स्यरूप से उत्पन्न होगा, मच्छीमारों के द्वारा वध को प्राप्त होता हुआ फिर वहीं पर हस्तिनापुर नगर में एक श्रेष्ठिकुल में उत्पन्न होगा, वहां वह सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा, वहां से सौधर्म नामक प्रथम देवलोक.. में उत्पन्न होगा और वहां से महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। वहां पर चारित्र ग्रहण करेगा 548 ] श्री विपाक सूत्रम् / षष्ठ अध्याय . [प्रथम श्रुतस्कंध