________________ तत्थेव सेट्ठिकुलंसि बोहि सोहम्मे० महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 5 निक्खेवो। ॥अट्ठमं अज्झयणं समत्तं॥ - छाया-शौरिको भदन्त ! मत्स्यबन्धः इत: कालमासे कालं कृत्वा कुत्र गमिष्यति? कुत्रोपपत्स्यते ? गौतम ! सप्ततिं वर्षाणि परमायुः पालयित्वा कालमासे कालं कृत्वाऽस्यां रत्नप्रभायां संसारस्तथैव यावत् पृथिव्याम् / ततो हस्तिनापुरे मत्स्यतयोपपत्स्यते / ततो मात्स्यिकैर्जीवितात् व्यपरोपितस्तत्रैव श्रेष्ठिकुले बोधि सौधर्मे महाविदेहे वर्षे सेत्स्यति 5 / निक्षेपः। // अष्टमध्ययनं समाप्तम्॥ पदार्थ-भंते !-हे भगवन् ! सोरिए णं-शौरिक। मच्छबंधे-मत्स्यबन्ध-मच्छीमार। इओ-यहां से। कालमासे-कालमास में अर्थात् मृत्यु का समय आ जाने पर। कालं किच्चा-काल करके। कहिकहां। गच्छिहिति ?-जाएगा? कहिं-कहां पर। उववजिहिति ?-उत्पन्न होगा? गोतमा !-हे गौतम! सत्तर-सत्तर। वासाइं-वर्षों की। परमाउं-परमायु। पालइत्ता-पालन करके-भोग कर। कालमासे. कालमास में। कालं किच्चा-काल करके। इमीसे-इस। रयणप्पभाए-रत्नप्रभा नामक प्रथम नरक में उत्पन्न होगा। संसारो-संसारभ्रमण / तहेव-उसी भांति अर्थात् प्रथम अध्ययनगत मृगापुत्र की भांति करता हुआ। जाव-यावत्। पुढवीए:-पृथिवीकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा। ततो-वहां से। हत्थिणाउरेहस्तिनापुर नगर में। मच्छत्ताए-मत्स्यतया-मत्स्यरूप में। उववजिहिति-उत्पन्न होगा। से-वह। णंवाक्यालंकारार्थक है। ततो-वहां से। मच्छिएहिं-मच्छीमारों के द्वारा / जीवियाओ-जीवन से। ववरोवितेपृथक् किया जाने पर। तत्थेव-वहीं हस्तिनापुर में। सिट्ठिकुलंसि-श्रेष्ठिकुल में उत्पन्न होगा। बोहिं०सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा। सोहम्मे-सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा, वहां से। महाविदेहेमहाविदेह / वासे-क्षेत्र में जन्मेगा तथा वहां। सिज्झिहिति ५-सिद्ध पद को प्राप्त करेगा 5 / निक्खेवोनिक्षेप-उपसंहार पूर्व की भान्ति जान लेना चाहिए। अट्ठमं-अष्टम। अज्झयणं-अध्ययन। समत्तं-सम्पूर्ण हुआ।. . मूलार्थ-गौतम स्वामी के " -भगवन् ! शौरिकदत्त मत्स्यबंध-मच्छीमार यहां से कालमास में काल करके कहां जाएगा और कहां उत्पन्न होगा" इस प्रश्न के अनन्तर प्रभु वीर बोले कि हे गौतम ! 70 वर्ष की परमायु भोगकर कालमास में काल करके रत्नप्रभा नामक पहली नरक में उत्पन्न होगा। उस का अवशिष्ट संसारभ्रमण पूर्ववत् ही जानना चाहिए, यावत् वह पृथिवी-काया में लाखों बार उत्पन्न होगा।वहां से हस्तिनापुर में मत्स्य बनेगा, वहां पर मात्स्यिकों-मच्छीमारों के द्वारा वध को प्राप्त हो, वहीं हस्तिनापुर में एक श्रेष्ठिकुल में जन्मेगा, वहां पर उसे सम्यक्त्व की प्राप्ति होगी, वहां मृत्यु को प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / अष्टम अध्याय [665