________________ पुंज और निकर रक्खे हुए थे। . .. तथा उस दुर्योधन के पास अनेक प्रकार के शस्त्र, पिप्पल (लघु छुरे), कुठार, नखच्छेदक और दर्भ-डाभ के पुंज और निकर रक्खे हुए थे। ___टीका-प्रस्तुत अध्ययन में प्रधानतया जिस व्यक्ति का वर्णन करना सूत्रकार को अभीष्ट है, उसके पूर्वभव का वृत्तान्त सुनाने का उपक्रम करते हुए भगवान् कहते हैं कि हे गौतम ! इस जम्बूद्वीप नामक द्वीप के अन्तर्गत भारत वर्ष में सिंहपुर नाम का एक सुप्रसिद्ध और हर प्रकार की नगरोचित समृद्धि से परिपूर्ण नगर था। उसमें सिंहरथ नाम का एक राजा राज्य किया करता था जो कि राजोचित गुणों से युक्त एवं महान् प्रतापी था। उसका दुर्योधन नाम का एक चारकपाल-कारागार का अध्यक्ष (जेलर) था, जो कि नितान्त अधर्मी, पतित और कठोर मनोवृत्ति वाला अर्थात् भीषण दंड दे कर भी पीछा न छोड़ने वाला तथा परम असन्तोषी और साधुजन-विद्वेषी था। उसने कारागार के अन्दर-जेलखाने में दण्ड विधानार्थ नाना प्रकार के उपकरणों का संचय कर रक्खा था। उन उपकरणों को 10 भागों में बांटा जा सकता है। वे दश भाग निनोक्त हैं = (1) लोहे की अनेकों कुंडियां थीं, जो आग पर धरी रहती थीं। जिन में ताम्र, त्रपु, सीसक, कलकल और क्षारयुक्त तैल भरा रहता था। - (2) अनेकों उष्ट्रिका-बड़े-बड़े मटके थे, जो घोड़ों, हाथियों, ऊंटों, गायों, भैंसों, बकरों तथा भेड़ों के मूत्र से परिपूर्ण अर्थात् मुंह तक भरे रहते थे। (3) हस्तान्दुक, पादान्दुक, हडि, निगड और श्रृंखला इन सब के पुंज और निकर एकत्रित किए हुए रखे रहते थे। . . (4) वेणुलता, वेत्रलता, चिंचालता, छिवा-श्लक्ष्णचर्मकशा, कशा और वल्करश्मि, इन सबके पुंज और निकर रखे रहते थे। (5) शिला, लकुट, मुद्गर और कनंगर इन सब के पुंज और निकर रखे हुए रहते (6) तन्त्री, वरत्रा, वल्करज्जु, वालरज्जु और सूत्ररज्जु इन सब के पुंज और निकर रखे रहते थे। (7) असिपत्र, करपत्र, क्षुरपत्र और कदम्बचीरपत्र इन सब के पुंज और निकर रखे रहते थे। __(8) लोहकील, वंशशलाका, चर्मपट्ट और अलपट्ट इन सब के पुंज और निकर रखे रहते थे। प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / षष्ठ अध्याय [523