________________ छाया-स ततोऽनन्तरमुढ्त्येहैव मथुरायां नगर्यां श्रीदाम्नो राज्ञो बन्धुश्रियो देव्याः कुक्षौ पुत्रतयोपपन्नः / ततो बन्धुश्री: नवसु मासेषु बहुपरिपूर्णेषु दारकं प्रयाता / ततस्तस्य दारकस्याम्बापितरौ निर्वृत्ते द्वादशाहे इदमेतद्रूपं नामधेयं कुरुतः-भवत्वस्माकं दारको नान्दिषेणो नाम्ना / ततः स नन्दिषेणः कुमार: पंचधात्रीपरिगृहीतो यावत् परिवर्द्धते / ततः स नन्दिषेण: कुमारः उन्मुक्तबालभावो यावद् विहरति / यावद् युवराजो जातश्चाप्यभवत्। ततः स नन्दिषेणः कुमारो राज्ये च यावदन्तःपुरे च मूछितः 4 इच्छति श्रीदामानं राजानं जीविताद् व्यपरोप्य स्वयमेव राज्यश्रियं कारयन् पालयन् विहर्तुम्। ततः स नन्दिषेणः कुमारः श्रीदाम्नो राज्ञो बहून्यन्तराणि च छिद्राणि च विरहांश्च प्रतिजागरयन् विहरति। ___ पदार्थ-से णं-वह। ततो-वहां से। अणंतरं-अन्तर रहित। उव्वट्टित्ता-निकल कर। इहेवइसी। महुराए-मथुरा। णयरीए-नगरी में। सिरिदामस्स-श्रीदाम। रणो-राजा की। बंधुसिरीए-बन्धुश्री। देवीए-देवी.की। कुच्छिंसि-कुक्षि-उदर में। पुत्तत्ताए-पुत्र-रूप से। उववन्ने-उत्पन्न हुआ। तते णंतदनन्तर। बंधुसिरी-बन्धुश्री ने। नवण्हं-नव। मासाणं-मास के। बहुपडिपुण्णाणं-लगभग पूर्ण होने पर। दारयं-बालक को। पयाया-जन्म दिया। तते णं-तदनन्तर। तस्स-उस। दारगस्स-बालक के। अम्मापितरो-माता-पिता / णिव्वत्ते बारसाहे-जन्म से बारहवें दिन / इमं-यह। एयारूवं-इस प्रकार का। णामधेनं-माम। करेंति-करते हैं। अहं-हमारा / दारए-बालक। णंदिसेणे-नन्दिषेण / नामेण-नाम से। होउ णं-हो। तते णं-तदनन्तर / से-वह / णंदिसेणे-नन्दिषेण / कुमारे-कुमार। पंचधातीपरिग्गहिते-पांच धाय माताओं से परिगृहीत हुआ। जाव-यावत् / परिवड्ढति-वृद्धि को प्राप्त होने लगा। तते णं-तदनन्तर। से-वह। णंदिसेणे-नन्दिषेण।कमारे-कुमार। उम्मक्कबालभावे-बालभाव को त्याग कर।जाव-यावत् / विहरति-विहरण करने लगा। जाव-यावत् / जुवराया यावि-युवराज पद को भी। जाते-प्राप्त। होत्थाहो गया था। तते णं-तदनन्तर / से-वह / णंदिसेणे-नन्दिषेण। कुमारे-कुमार। रज्जे य-राज्य में। जावयावत्। अंतेउरे य-अन्तःपुर में। मूच्छिते ४-मूछित अर्थात् राज्यादि के ध्यान में पगला बना हुआ, गृद्धआकांक्षा वाला, ग्रथित-स्नेहजाल में बन्धा हुआ और अध्युपपन्न-आसक्त हुआ। सिरिदाम-श्रीदाम / रायंराजा को। जीविताओ-जीवन से। ववरोवित्ता-व्यपरोपित कर-मार कर। सयमेव-स्वयं ही। रज्जसिरिराज्यश्री-राज्य की लक्ष्मी को। कारेमाणे-कराता हुआ अर्थात् अमात्य आदि के द्वारा बढ़ाता हुआ। पालेमाणे-पोषण करता हुआ। विहरित्तए-विहरण करने की / इच्छति-इच्छा करता है। तते णं-तदनन्तर / से-वह / णंदिसेणे-नन्दिषेण। कुमारे-कुमार। सिरिदामस्स-श्रीदाम। रणो-राजा के। बहूणि-अनेक। अन्तराणि य-अन्तर-अवसर। छिद्दाणि य-छिद्र-अर्थात् जिस समय पारिवारिक व्यक्ति अल्प हों। विरहाणि य-विरह-अर्थात् कोई भी पास न हो, राजा अकेला हो, इस प्रकार, अवसर, छिद्र और विरह की। पडिजागरमाणे-प्रतीक्षा करता हुआ। विहरति-विहरण करने लगा। मूलार्थ-तदनन्तर वह दुर्योधन चारकपाल नरक से निकल कर इसी मथुरा नगरी में श्रीदाम राजा की बन्धुश्री देवी की कुक्षि-उदर में पुत्ररूप से उत्पन्न हुआ। तदनन्तर प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / षष्ठ अध्याय [537