________________ पधारे। तत्थ णं-वहां पर। बहवे-बहुत से। हत्थी-हस्तियों को। पासति-देखते हैं। बहवे-अनेकों। आसे-अश्वों-घोड़ों को देखते हैं और / सन्नद्धबद्धकवए-सैनिकों की भान्ति शस्त्रादि से सुसज्जित एवं कवच पहने हुए। पुरिसे-पुरुषों को देखते हैं। तेसिं णं-उन। पुरिसाणं-पुरुषों के। मज्झगतं-मध्य में। अवओडय-अवकोटकबन्धन-जिस बन्धन में ग्रीवा को पृष्ठ भाग में ले जाकर हाथों के साथ बांधा जाए उस बन्धन से युक्त। जाव-यावत् / उग्घोसेजमाणं-उद्घोषित। एग-एक। पुरिसं-पुरुष को। पासतिदेखते हैं। तते णं-तदनन्तर / तं पुरिसं-उस पुरुष को। रायपुरिसा-राजपुरुष-राजकर्मचारी। पढमंसिप्रथम। चच्चरंसि-चत्वर-चार मार्गों से अधिक मार्ग जहां सम्मिलित हों, वहां पर। निसियाति 2 त्ताबैठा लेते हैं बैठा कर। अट्ठ-आठ। चुल्लपिउए-पिता के छोटे भाई-चाचाओं को। अग्गओ-आगे से। घाएंति-मारते हैं। 2 त्ता-मार कर। कसप्पहारेहि-कशा (चाबुक) के प्रहारों से। तालेमाणा-ताडित करते हुए। कलुणं-करुणा के योग्य उस पुरुष के। कागिणीमंसाइं-शरीर से उत्कृत्त-निकाले मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों को। खावेंति-खिलाते हैं। खावित्ता-खिला कर / रुहिरपाणं च-रुधिरपान / पाएंतिकराते हैं। अर्थात् उसे रक्त-खून पिलाते हैं। तदाणंतरं च-तदनन्तर / णं-वाक्यालंकारार्थक है। दोच्चंसिद्वितीय। चच्चरंसि-चत्वर पर ले जाते हैं, वहां पर। अट्ठ-आठ। चुल्लमाउयाओ-लघुमाताओं-चाचाओं की पत्नियों-चाचियों को।अग्गओ-आगे से। घाएंति-मारते हैं। एवं-इसी प्रकार / तच्चे-तीसरे। चच्चरेचत्वर पर। अट्ठ-आठ। महापिउए-महापिता-पिता के ज्येष्ठ भ्राताओं-तायों को। चउत्थे-चतुर्थ चत्वर पर। अट्ठ-आठ। महामाउयाओ-महामाता-पिता के ज्येष्ठ भाई की पत्नियों-ताइयों को। पंचमे-पांचवें चत्वर पर। पुत्ते-पुत्रों को। छटे-छठे चत्वर पर। सुण्हाओ-स्नुषाओं पुत्रवधुओं को। सत्तमे-सप्तम चत्वर पर। जामाउया-जामाताओं को। अट्ठमे-अष्टम चत्वर पर। धूयाओ-लड़कियों को। नवमे-नवम चत्वर पर। णत्तुया-नप्ताओं-पौत्रों अर्थात् पोतों और दौहित्रों अर्थात् दोहताओं-को। दसमे-दशमें चत्वर पर। णत्तुईओ-लड़की की पुत्रियों को और लड़के की लड़कियों को। एक्कारसमे-एकादशवें चत्वर पर। णत्तुयावई-नप्तृकापति अर्थात् पौत्रियों-पोतियों-और दौहित्रियों-दोहतियों के पतियों को। बारसमेबारहवें चत्वर पर। णत्तुइणीओ-नप्तृभार्या-पोतों और दोहताओं की स्त्रियों को। तेरसमे-तेरहवें चत्वर पर। पिउस्सियपतिया-पितृष्वसृपति-पिता की बहिनों के पतियों को अर्थात् पिता के बहनोइयों को। चोद्दसमे-चौदहवें चत्वर पर। पिउस्सियाओ-पितृष्वसा-पिता की बहिनों को। पण्णरसमे-पन्द्रहवें चत्वर पर। माउसियापतिया-मातृष्वसृपति-माता की बहिनों के पतियों को। सोलसमे-सोलहवें चत्वर पर। माउस्सियाओ-मातृष्वसा-माता की बहिनों को। सत्तरसमे-सतरहवें चत्वर पर। मामियाओ-मातुलानीमामियों को।अट्ठारसमे-अठारहवें चत्वर पर। अवसेसं-अवशेष-बाकी बचे। मित्त-मित्र / नाइ-ज्ञातिजनबिरादरी के लोग। नियग-निजक-माता आदि। सयण-स्वजन-मामा के पुत्र आदि। सम्बन्धि-सम्बन्धिश्वसुर एवं साला आदि। परियणं-परिजन-दास-दासी आदि को। अग्गओ-उस के आगे। घाति 2 त्ता प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / तृतीय अध्याय [349