________________ आस्वादयन् 4 विहरति / ततः स निर्णयोऽण्डवाणिज एतत्कर्मा 4 सुबहु पापं कर्म समय॑ एकं वर्षसहस्रं परमायुः पालयित्वा कालमासे कालं कृत्वा तृतीयायां पृथिव्यां उत्कृष्टसप्तसागरोपमस्थितिकेषु नैरयिकेषु नैरयिकतयोपपन्नः। पदार्थ-एवं खलु-इस प्रकार निश्चय ही। गोतमा !-हे गौतम ! तेणं कालेणं-उस काल में। तेणं समएणं-उस समय में। इहेव-इसी। जम्बुद्दीवे दीवे-जम्बूद्वीप नामक द्वीप के अन्तर्गत। भारहे वासे-भारत वर्ष में। पुरिमताले-पुरिमताल। नाम-नामक। नगरे-नगर। होत्था-था, जो कि। रिद्धऋद्ध-भवनादि के आधिक्य से पूर्ण, स्तिमित-स्वचक्र और परचक्र के भय से रहित तथा समृद्ध-उत्तरोत्तर बढ़ते हुए धन धान्यादि से परिपूर्ण था। तत्थ णं-उस। पुरिमताले-पुरिमताल नगर में। उदिए-उदित। नाम-नामक। राया-राजा। होत्था-था। महया-जो कि महा हिमवान्-हिमालय आदि पर्वतों के सदृश महान् था। तत्थ णं पुरिमताले-उस पुरिमताल नगर में। निण्णए-निर्णय / नाम-नामक।अंडयवाणियएअंडवाणिज-अंडों का व्यापारी / होत्था-था जो कि। अड्ढे-धनी। जाव-यावत्। अपरिभूते-अतिरस्कृत अर्थात् बड़ा प्रतिष्ठित था एवं / अहम्मिए-अधार्मिक / जाव-यावत् / दुप्पडियाणंदे-दुष्प्रत्यानन्द-जो किसी तरह सन्तुष्ट न किया जा सके, ऐसा था। तस्स-उस। णिण्णयस्स-निर्णय नामक। अंडयवाणियगस्सअण्डवाणिज के। बहवे-अनेक। दिण्णभति-भत्तवेयणा-दत्तभृतिभक्तवेतन-जिन्हें वेतनरूपेण भृतिपैसे आदि तथा। भक्त-घृत धान्यादि दिए जाते हों अर्थात् नौकर। पुरिसा-पुरुष। कल्लाकल्लिं-प्रति दिन / कोद्दालियाओ य-कुद्दाल-भूमि खोदने वाले शस्त्रविशेषों को तथा। पत्थियापिडए य-पत्थिकापिटकबांस से निर्मित पात्रविशेषों -पिटारियों को। गेण्हन्ति-ग्रहण करते हैं, तथा। पुरिमतालस्स-पुरिमताल। णगरस्स-नगर के। परिपेरंतेसु-चारों ओर। बहवे-अनेक। काइअंडए य-काकी-कौए-की मादा-के अंडों को तथा। घूइअंडए य-घूकी-उल्लूकी (उल्लू की मादा) के अंडों को। पारेवइ-कबूतरी के अंडों को। टिट्टिभि-टिट्टिभि-टिटिहरी के अंडों को। बगि-बकी-बगुली के अण्डों को। मयूरी-मयूरी-मोरनी के अंडों को और / कुक्कुडिअंडए य-कुकड़ी-मुर्गी के अंडों को। अन्नेसिं चेव-तथा और / बहूणंबहुत से। जलयर-जलचर-जल में चलने वाले।थलयर-स्थलचर-पृथिवी पर चलने वाले। खहयरमाईणंखेचर-आकाश में विचरने वाले जंतुओं के।अंडाई-अण्डों को। गेण्हन्ति-ग्रहण करते हैं। गेण्हेत्ता-ग्रहण कर के। पत्थिया-पिडगाइं-बांस की पिटारियों को। भरेंति-भर लेते हैं। 2 त्ता-भर कर / जेणेव-जहां पर। निण्णए-निर्णय नामक / अण्डवाणियए-अण्डवाणिज था। तेणेव-वहां पर। उवा० 2 त्ता-आते हैं, आकर। निण्णयस्स-निर्णय नामक। अंडवाणियगस्स-अण्डवाणिज को। उवणेति-दे देते हैं। तते णंतदनन्तर। तस्स-उस। निण्णयस्स-निर्णय नामक। अंडवाणियगस्स-अण्डवाणिज के। बहवे-अनेक। दिण्णभइ०-जिन्हें वेतन रूप से रुपया तथा भोजन दिया जाता है ऐसे नौकर। पुरिसा-पुरुष / बहवेअनेक। काइअंडए य- काकी के अंडों को। जाव-कुक्कुडिअंडए य-मुर्गी के अंडों को। अन्नेसिं च प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / तृतीय अध्याय [359