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दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र - तृतीय दशा Atrekkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk. ___"विद्या ददाति विनय, विनयाद् याति पात्रताम्" - विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता, योग्यता प्राप्त होती है। ऐसी अनेक संस्कृत व नीति शास्त्रीय उक्तियाँ विनय की महत्ता का सूचन करती हैं। ____ जीवन में विनय नहीं होता तब व्यक्ति हर क्रिया - प्रक्रिया में प्रमादपूर्ण, अशिष्टतापूर्ण व्यवहार करता है। एक साधु के जीवन में ऐसा कदापि घटित न हो यह अत्यंत आवश्यक है। अत एव प्रारंभ से ही एक श्रमण को वैसे संस्कार प्राप्त हों, इस पर बहुत जोर दिया गया है। इस सूत्र में प्रयुक्त शैक्ष शब्द नवदीक्षित श्रमण के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो शिक्षार्थी है, जिसे जीवन में बहुत शिक्षाएँ प्राप्त करनी हैं। नये रूप में शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करता है अथवा अध्ययन करता है, उसे शैक्ष कहा जाता है। शिक्षा शब्द से निष्पन्न यह तद्धित प्रत्यान्त रूप है। पारिभाषिक रूप में जैन शास्त्रों में नव दीक्षा पर्याय युक्त श्रमण के लिए ही इसका प्रयोग होता रहा है। इस सूत्र में ऐसी शिक्षाएँ दी गई हैं, जिनसे नवदीक्षित श्रमण दैनंदिन व्यवहार में अविनयपूर्ण आचरण से बच सके।
यहाँ प्रयुक्त 'आशातना' शब्द के मूल में 'शो' धातु है, जो पीड़ित, दुःखित या परेशान करने के अर्थ में है। इसी से 'शातना' शब्द बनता है। इससे पहले 'आ' उपसर्ग लगने से 'आशातना' होता है, जो अर्थ में और व्यापकता ला देता है। इस सूत्र में जिनजिन दोषों का वर्णन किया है, वे ऐसे हैं, जिनके कारण सम्मुखीन जनों के मन में मानसिक पीड़ा और खिन्नता पैदा हो सकती है। जो साधना में आगे बढ़े हों, उनमें ऐसा न भी हो, तो भी ये कार्य पीड़ोत्पादकता के हेतु होने से हेय तथा दूषणीय तो हैं ही। नवदीक्षित या नवशिक्षार्थी के स्वयं के लिए भी तो ये हानिकारक हैं। ऐसी प्रमादपूर्ण प्रवृत्तियाँ विद्या और चारित्र - दोनों में ही उसके अग्रसर होने में बाधक बनती है।
. इसीलिए यहाँ दैनंदिन कार्यों से संबद्ध चलना, फिरना, बैठना, रहना - इत्यादि से संबंधित छोटी से छोटी बातों को इस प्रकार कहा गया है, जैसे एक बालक को समझाया जाता है। क्योंकि छोटी-छोटी बातों में प्रमाद करने वाले में प्रमाद की वृत्ति पनपती है, जो उसे साधना में आगे नहीं बढ़ने देती। छोटी से छोटी बात में जो जागरूक रहता है, उसकी समग्र चर्या में सतत जागरूकता बनी रहती है। इस संदर्भ में दशवैकालिक सूत्र की निम्नांकित गाथा विशेष रूप से मननीय है -
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