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आलोचना-क्रम . ****************************aaaaaaaaaaaaaaaaaxxxxxxxxkiki
णो.चेव णं अण्णसंभोइयं पासेजा बहुस्सुयं बब्भागमं जत्थेव सारूवियं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागमं, तस्संतियं आलोएज्जा जाव पडिवजेजा॥३७-१॥
__णो चेव णं सारूवियं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागम, जत्थेव समणोवासगं पच्छाकडं पासेजा बहुस्सुयं बब्भागम, कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा पडिक्कमेत्तए वा जाव पायच्छित्तं पडिवजेत्तए वा॥३७-२॥ __णो चेव णं समणोवासगं पच्छाकडं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागम, जत्थेव समभावियाई चेइयाई पासेजा, कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा पंडिक्कमेत्तए वा जाव पायच्छित्तं पडिवजेत्तए वा॥३८॥
णो चेव समभावियाइं चेइयाइं पासेज्जा, बहिया गामस्स वा णगरस्स वा णिगमस्स वा रायहाणीए वा खेडस्स वा कब्बडस्स वा मडंबस्स वा पट्टणस्स वा दोणमुहस्स वा आसमस्स वा संवाहस्स वा संणिवेसस्स वा पाईणाभिमुहे वा उंदीणाभिमुहे वा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वएज्जा-एवंइया मे अवराहा, एवइक्खुत्तो अहं अवरद्धो। अरहंताणं सिद्धाणं अंतिए आलोएज्जा जाव पडिवज्जेज्जासि॥३९॥त्ति बेमि।।
॥ववहारस्स पढमो उद्देसओ समत्तो॥१॥ कठिन शब्दार्थ - अकिच्चट्ठाणं - अकृत्य स्थान - न करने योग्य दोष, पासेज्जा - देखे, तेसंतियं - उनके समीप, पडिक्कमेज्जा - प्रतिक्रमण करे - दोषों से प्रतिक्रान्त हो, णिंदेज्जा - निंदा करे, गरहेज्जा - गर्दा करे - जुगुप्सा करे, विउट्टेज्जा - व्यावृत्त बने - प्रतिनिवृत्त हो, विसोहेज्जा - विशोधित करे - आत्मा को शुद्ध बनाए, अकरणयाए - न करने योग्य कर्म से - दोष से, अब्भुटेजा - अभ्युत्थित बने - ऊँचा उठे, अहारियं - यथायोग्य, तवोकम्मं - तपःक्रम - तपस्या, पायच्छित्तं - प्रायश्चित्त, पडिवजेज्जा - स्वीकार करे, संभोइयं - साम्भोगिक - समान सामाचारिक - समान समाचारीयुक्त, बहुस्सुयंबहुश्रुत - शास्त्रज्ञ या शास्त्रों के विशेष ज्ञाता, बब्भागमं - बहुआगम - अनेक आगमों के वेत्ता, जाव - यावत्, अण्णसंभोइयं - अन्य सांभोगिक - असमान समाचारी युक्त, सारूवियंसारूपिक - अपने समान वेशादि युक्त, समणोवासगं - श्रमणोपासक - श्रावक, पच्छाकडंपश्चात्कृत - साधुत्व छोड़कर गृहस्थ बना हुआ, समभावियाई - सम्यग्भावित - जिन वचन
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