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व्यवहार सूत्र - तृतीय उद्देशक
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कठिन शब्दार्थ - तिवासपरियाए - तीन वर्ष के दीक्षा पर्याय से युक्त, आयार कुसले - आचार कुशल - ज्ञान आदि पंच आचार-दक्ष, संजमकुसले - संयम कुशल - संयम के परिपालन में निपुण - समर्थ, पवयणकुसले - प्रवचन कुशल - जिन-वाणी में निष्णात, विशिष्ट ज्ञाता, उपदेष्टा, पण्णत्तिकुसले - प्रज्ञप्तिकुशल - स्व समय-परसमय - वेत्ता - स्व-पर-शास्त्रज्ञाता, संगहकुसले - संग्रहकुशल - द्रव्यसंग्रह या आहार-उपधि आदि में तथा भाव संग्रह - सूत्रार्थ में कुशल या सुयोग्य, उवग्गहकुसले - उपग्रहकुशल - आश्रय प्रदान करने में सक्षम, अक्खयायारे - अक्षताचार - अक्षत या अखण्डित आचार युक्त, अभिण्णायारे - अभिन्नाचार - अतिचार रहित शुद्धाचार युक्त, असबलायारे - अशबलाचारदोष वर्जित आचार युक्त, असंकिलिट्ठायारे - असंक्लिष्टाचार - इहलोक-परलोक-विषयक आशंसा (आकांक्षा) रहित, जहण्णेणं - जघन्यतः - जघन्य रूप में, आयारपकप्पधरे - आचार प्रकल्पधर - आचारांग सूत्र एवं निशीथ सूत्र का अध्येता, उवज्झायत्ताए - उपाध्यायतया - उपाध्याय के रूप में, उदिसित्तए - उद्दिष्ट - निर्दिष्ट या नियुक्त करना, अप्पसुए - अल्पश्रुत - श्रुतज्ञान में अल्पज्ञ, अप्पागमे - अल्पागम - आगम ज्ञान में अल्पज्ञ, समणे - श्रमण - संयमाराधना रूप तपश्चरणशील भिक्षु, णिग्गंथे - निर्ग्रन्थ - धन-धान्य, वैभव आदि बाह्य कषाय तथा मिथ्यात्व आदि आन्तरिक बन्धनों से निकला हुआ या छूटा हुआ, पंचवासपरियाए - पांच वर्ष के दीक्षा-पर्याय से युक्त, दसाकप्पववहारधरे - दशाश्रुतस्कन्ध, बृहत्कल्प एवं व्यवहार सूत्र का ज्ञाता, आयरियउवज्झायत्ताए - आचार्योपाध्यायतया - आचार्य या उपाध्याय के रूप में, अट्ठवासपरियाए - आठ वर्ष के दीक्षा पर्यायं से युक्त, ठाणसमवायधरे - स्थानांग एवं समवायांग सूत्र का ज्ञाता, गणावच्छेइयत्ताए - गणावच्छेदकतया - गणावच्छेदक के रूप में।
भावार्थ - ७२. तीन वर्ष के दीक्षा-पर्याय से युक्त श्रमण, निर्ग्रन्थ, जो आचारकुशल, संयमकुशल, प्रवचनकुशल, प्रज्ञप्तिकुशल, संग्रहकुशल, उपग्रहकुशल, अक्षताचार, अभिन्नाचार, अशबलाचार, असंक्लिष्टाचार, बहुश्रुतज्ञ, बहुआगमज्ञ तथा जघन्यतः आचारांग एवं निशीथ सूत्र का ज्ञाता हो, उसे उपाध्याय पद पर नियुक्त - मनोनीत करना कल्पता है। ____७३. वह त्रिवर्षीय दीक्षा पर्याय युक्त श्रमण, निर्ग्रन्थ यदि आचारकुशल, संयमकुशल, प्रवचनकुशल, प्रज्ञप्तिकुशल, संग्रहकुशल एवं उपग्रह कुशल न हो, जो क्षताचार भिन्नाचार, शबलाचार, संक्लिष्टाचार सहित हो, अल्पश्रुतज्ञ, अल्पआगमज्ञ हो तो उसे उपाध्याय पद पर नियुक्त - मनोनीत करना नहीं कल्पता।
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