Book Title: Trini Ched Sutrani
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 481
________________ १५५ शय्यातर के घर पर अन्यों के निमित्त निष्पन्न आहार-ग्रहण-विषयक विधि-निषेध सागारियस्स णायए सिया सागारियस्स एगवगडाए बाहिं एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥२२९॥ - ___सागारियस्स णायए सिया सागारियस्स एगवगडाए बाहिं अभिणिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥२३०॥ सागारियस्स णायए सिया सागारियस्स अभिणिव्वगडाए एगदुवाराए एगणिक्खमणपवेसाए अंतो एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, णो से - कप्पइ पडिगाहेत्तए॥२३१॥ सागारियस्स णायए सिया सागारियस्स अभिणिव्वगडाए एगदुवांराए एगणिक्खमणपवेसाए अंतो अभिणिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥२३२॥ सागारियस्स णायए सिया सागारियस्स अभिणिव्वगडाए एगदुवाराए एगणिक्खमणपवेसाए बाहिं एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥२३३॥ सागारियस्स णायए सिया सागारियस्स अभिणिव्वगंडाए एगदुवाराए एगणिक्खमणपवेसाए बाहिं अभिणिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥२३४॥ कठिन शब्दार्थ - आएसे - सत्कारपूर्वक आदिष्ट या आहूत - आमंत्रित संबंधीजन, अंतोवगडाए - घर के भीतर, भुंजइ - भोजन करे, णिट्टिए - निष्ठा प्राप्त - सम्मान प्राप्त मेहमान, णिसिटे - निसृष्ट - दिए हुए, बाहिं वगडाए - घर के बाहर, दासे - दास - जन्म से मृत्यु पर्यन्त सेवा करने वाला, क्रीत सेवक, पेसे - प्रेष्य - कार्यवश ग्रामान्तर में प्रेषित किए जाने - भेजे जाने हेतु नियुक्त नौकर, संदेशवाहक, भयए - भृत्य - कुछ समय के लिए कीमत देकर रखा गया नौकर, भंडण्णए - भृतक - बहुत समय के लिए खरीदा गया नौकर, णायए - स्वजन, एगपयाए - एक चूल्हे से या एक चूल्हे पर, चोवजीवइ - उपजीवति - जीवन निर्वाह करता है, अभिणिपयाए - पृथक् चूल्हे से, एगदुवाराए - एक द्वार से, एगणिक्खमणपवेसाए - बाहर निकलने और भीतर आने के एक ही मार्ग से, अभिणिव्वगडाए - ग्रहान्तरवर्ती विभाग। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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