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व्यवहार सूत्र - नवम उद्देशक
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इन प्रतिमाओं की आराधना साधु-साध्वी दोनों ही कर सकते हैं। प्रतिमाराधक अपनी गोचरी स्वयं लाते हैं।
- साध्वी के लिए एकाकिनी भिक्षा हेतु जाने का निषेध है। इन प्रतिमाओं की आराधिका साध्वी जब भिक्षा लेने जाती है तब अन्य साध्वियाँ भी उसके साथ जाती हैं, ताकि एकाकी जाने का दोष न लगे, किन्तु अपने लिए भिक्षा वह स्वयं ही ग्रहण करती है। ___ इन प्रतिमाओं को भी सूत्र में "भिक्षु प्रतिमा' शब्द से ही सूचित किया गया है। फिर भी इनको धारण करने में बारह भिक्षु प्रतिमाओं के समान पूर्वो का ज्ञान तथा विशिष्ट संहनन की आवश्यकता नहीं होती है।
मोक-प्रतिमा-विधान - दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तंजहा- खुड्डिया वा मोयपडिमा महल्लिया वा मोयपडिमा, खुड्डियण्णं मोयपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स कप्पइ पढम सरयकालसमयंसि वा चरिमणिदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा वणंसि वा वणदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ चोइसमेणं पारेड, अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ, जाए जाए मोए आइयव्वे, दिया आगच्छइ । आइयव्वे राइ आगच्छइ णो आइयव्वे, सपाणे मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अप्पाणे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, सबीए मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अबीए मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, ससणिद्धे मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अससणिद्धे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, ससरक्खे मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अससरक्खे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, जाए जाए मोए आइयव्वे तंजहा - अप्पे वा बहुए वा। एवं खलु एसा खुड्डिया मोयपडिमा अहासुत्तं जाव अणुपालिया भवइ॥२५९॥
महल्लियण्णं मोयपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स कप्पइ से पढमसरयकालसमयंसि वा चरिमणिदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा वणंसि वा वण्णदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ, सोलसमेणं पारेइ, अभोच्चा आरुभइ, अट्ठारसमेणं पारेइ, जाए जाए मोए आइयव्वे तह चेव जाव अणुपालिया भवइ॥२६०॥
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