________________
द्वादशी
कल्पता है।
एकादशी - ग्यारस के दिन आहार एवं पानी की ग्यारह - ग्यारह दत्तियाँ प्रतिगृहीत करना
कल्पता है ।
त्रयोदशी
कल्पता है।
-
व्यवहार सूत्र
चतुर्दशी करना कल्पता है ।
-
दशम उद्देश
Jain Education International
१८०
****
बारस के दिन आहार एवं पानी की बारह - बारह दत्तियाँ प्रतिगृहीत करना
तेरस के दिन आहार एवं पानी की तेरह - तेरह दत्तियाँ प्रतिगृहीत करना
चवदस के दिन आहार एवं पानी की चवदह - चवदह दत्तियाँ प्रतिगृहीत
पूर्णिमा - पूनम के दिन आहार एवं पानी की पन्द्रह - पन्द्रह दत्तियाँ प्रतिगृहीत करना कंल्पता है ।
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के दिन आहार और पानी की चवदह - चवदह दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है । (पूर्व वर्णन के अनुरूप सभी द्विपद-चतुष्पद प्राणियों के खाद्य प्राप्त कर लौट जाने पर यावत् तदनुरूप अन्य सभी स्थितियाँ होने पर कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के दिन आहारपानी की चवदह - चवदह दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है, वैसा न होने पर आहार- पानी लेना नहीं कल्पता ।)
द्वितीया के दिन आहार और पानी की तेरह-तेरह दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है यावत् उपर्युक्त स्थितियाँ होने पर वह आहार पानी ग्रहण करे अन्यथा ग्रहण न करे ।
तृतीया के दिन आहार और पानी की बारह - बारह दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है यावत् उपर्युक्त स्थितियाँ होने पर वह आहार- पानी ग्रहण करे अन्यथा ग्रहण न करे ।
चतुर्थी के दिन आहार और पानी की ग्यारह - ग्यारह दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है . यावत् उपर्युक्त स्थितियाँ होने पर वह आहार- पानी ग्रहण करे अन्यथा ग्रहण न करे ।
पंचमी के दिन आहार और पानी की दस-दस दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है यावत् उपर्युक्त स्थितियाँ होने पर वह आहार- पानी ग्रहण करे अन्यथा ग्रहण न करे ।
षष्ठी के दिन आहार और पानी की नौ-नौ दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है यावत् उपर्युक्त स्थितियाँ होने पर वह आहार- पानी ग्रहण करे अन्यथा ग्रहण न करे ।
सप्तमी के दिन आहार और पानी की आठ-आठ दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है यावत् उपर्युक्त स्थितियाँ होने पर वह आहार- पानी ग्रहण करे अन्यथा ग्रहण न करे ।
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org