Book Title: Trini Ched Sutrani
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 526
________________ व्यवहार सूत्र - दशम उद्देशक २०० दीक्षा-पर्याय के आधार पर आगमाध्ययनक्रम तिवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ आयारपकप्पे णामं अज्झयणे उद्दिसित्तए॥२८९॥ चउवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ सूयगडे णाम अंगे उद्दिसित्तए॥२९०॥ पंचवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ दसाकप्पववहारे उदिसित्तए॥२९१॥ अट्ठवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ ठाणसमवाए उद्दिसित्तए॥२९२॥ दसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ वि( वाहे )याहे णामं अंगे उद्दिसित्तए॥२९३॥ एक्कारसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पड़ खडिया विमाणपविभत्ती महल्लिया विमाणपविभत्ती अंगचूलिया वर(वं )गचूलिया वियाहचूलिया णामं अज्झयणे उद्दिसित्तए॥२९४॥ ___ बारसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए णामं अज्झयणे उदिसित्तए॥२९५॥ तेरसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ उट्ठाण(सु)परियावणिए समुट्ठाणसुए देविंदोववाए णाग-परियावणिए णामं अज्झयणे उद्दिसित्तए॥२९६॥ चोहचउद)स-वास परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ सि(सु)मिणभावणा णामं अज्झयणे उद्दिसित्तए ॥२९७॥ पण्णरसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ चारणभावणा णामं अज्झयणे उहिसित्तए॥२९८॥ सोलसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ तेयणीसंगे णामं अज्झयणे उद्दिसित्तए॥२९९॥ सत्तरसवासपरियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पा आसीविस-भावणा णामं अज्झयणे उदिसित्तए।।३००॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538