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९७ आचारप्रकल्प के भूल जाने पर पद-मनोनयन-विषयक प्रतिपादन । kakkakArAAAAAAAAAAAAAAAkkakkartantratakkarutakkarutakkkkkkkkkk
आचारप्रकल्प के भूल जाने पर पद-मनोनयन-विषयक प्रतिपादन । ___णिग्गंथस्स णवडहरतरुणस्स आयारपकप्पे णामं अज्झयणे परिभट्ठे सिया, से य पुच्छियव्वे, केण ते अज्जो ! कारणेणं आयारपकप्पे णामं अज्झयणे परिभट्टे, किं आबाहेणं पमाएणं? से य वएज्जा-णो आबाहेणं पमाएणं, जावज्जीवं तस्स तप्पत्तियं णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उहिसित्तए वा धारेत्तए वा, से य वएज्जा-आबाहेणं णो पमाएणं, से य संठवेस्सामीति संठवेजा, एवं से कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा, से य संठवेस्सामीति णो संठवेजा, एवं से णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा॥१४५॥
णिग्गंथीए (णं) णवडहरतरुणाए आयारपकप्पे णामं अज्झयणे परिब्भटे सिया, सा य पुच्छियव्वा, केण भे कारणेणं आयारपकप्पे णाम अज्झयणे परिब्भटे किं आबाहेणं पमाएणं? सा य वएजा - णो आबाहेणं पमाएणं, जावज्जीवं तीसे तप्पत्तियं णो कप्पइ पवत्तिणित्तं वा गणावच्छेइणित्तं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा, सा य वएज्जा - आबाहेणं णो पमाएणं, सा.य संठवेस्सामीति संठवेजा, एवं से कप्पड़ पवत्तिणित्तं वा गणावच्छेइणित्तं वा उहिसित्तए वा धारेत्तए वा, सा य संठवेस्सामीति णो संठवेज्जा, एवं से णो कप्पइ पवत्तिणित्तं वा गणावच्छेइणित्तं वा उहिसित्तए वा धारेत्तए वा ॥१४६ ॥
कठिन शब्दार्थ - आयारपकप्पे - आचारप्रकल्प - आचारांग एवं निशीथ, अज्झयणे - अध्ययन, परिब्भटे - परिभ्रष्ट - विस्मृत, आबाहेणं - किसी बाधक या विघ्नकारक कारण द्वारा, पमाएणं - प्रमाद द्वारा, संठवेस्सामि - संस्थापित कर लूंगा - स्मरण कर लूंगा, संठवेजा - स्मरण कर ले। . भावार्थ - १४५. नवदीक्षित-बाल-युवा भिक्षु को यदि आचारप्रकल्पाध्ययन विस्मृत हो जाए तो उसे पूछा जाए -
हे आर्य! तुम किस कारण से आचारप्रकल्प नामक अध्ययन को विस्मृत किए हुए हो - भूल गए हो, क्या किसी बाधक कारण से भूले हो या प्रमाद से भूले हो?
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