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व्यवहार सूत्र - अष्टम उद्देशक .
.. १४० Awaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaat
से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे वासावासासु भविस्सइ॥२०५॥
से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा चउयाहं वा पंचाहं वा दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे, वुड्डावासासु भविस्सइ॥२०६॥
कठिन शब्दार्थ - अहालहुसगं - यथालघुस्वक - अपने लिए यथा संभव छोटे, गवेसेज्जा - गवेषणा करे, चक्किया - शक्त - समर्थ हो सके, एगेणं हत्येणं - एक हाथ द्वारा, ओगिज्झ - ग्रहण करना - उठाना, एगाहं - एक विश्राम के लिए दुयाहं - दो विश्रामों के लिए, तियाह - तीन विश्रामों के लिए, अद्धाणं - अध्वा - मार्ग, परिवहित्तएपरिवहन करना - ले जाना, भविस्सइ - होगा - उपयोग में आयेगा, वासावासासु - वर्षावास में, चउयाहं - चार विश्रामों के लिए, पंचाहं - पाँच विश्रामों के लिए, दूरमवि - दूर भी, वुड्डावासासु - वृद्धावास में - वृद्धावस्था में। . भावार्थ - २०४. साधु ऐसे हल्के शय्यासंस्तारक - शयन पट्ट या शयनास्तरण की गवेषणा करे, जिसे एक हाथ से अवगृहीत किया जा सके - उठाया जा सके यावत् एक, दो या तीन विश्रामों को लेकर जिस स्थान (समीपवर्ती बस्ती) में हो, वहाँ का रास्ता पार कर - वहाँ से चलकर इस लक्ष्य से कि यह मेरे लिए हेमन्त एवं ग्रीष्म ऋतु में उपयोग में आयेगा, लाया जा सकता है।
२०५. साधु ऐसें हल्के शय्यासंस्तारक की गवेषणा करे, जिसे एक हाथ से अवगृहीत ' किया जा सके, यावत् एक, दो या तीन विश्रामों को लेकर जिस स्थान समीपवर्ती बस्ती या निकटवर्ती अन्य बस्ती में हो, वहाँ का रास्ता पार कर, इस लक्ष्य से कि यह मेरे लिए वर्षावास में उपयोगी होगा, लाया जा सकता है।
२०६. साधु ऐसे हल्के शय्यासंस्तारक की गवेषणा करे, जिसे एक हाथ से अवगृहीत किया जा सके यावत् एक, दो, तीन, चार या पाँच विश्रामों को लेकर जिस स्थान - उसी समीपवर्ती बस्ती तथा दूर की बस्ती में हो, वहाँ से मार्ग पार कर चल कर, इस लक्ष्य से कि यह मेरे लिए वृद्धावास - स्थविरवास में उपयोगी होगा, लाया जा सकता है।
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