Book Title: Trini Ched Sutrani
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 469
________________ १४३... एकाकी स्थविर के उपकरण रखने तथा भिक्षार्थ जाने का विधिक्रम kakkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkakkar अविरहित, ओवासे - अवकाश - स्थान में, ठवेत्ता - स्थापित कर - रख कर, गाहावइकुलंगाथापतिकुल - गृहस्थ के परिवार में, भत्ताए - आहार के लिए, णिक्खमित्तए - निकलने के लिए, संणियट्टचारीणं - संनिवृत्ताचार - बापस लौटे हुए। - भावार्थ - २०७. स्थविरत्व प्राप्त - वार्धक्यगत स्थविरों को दण्ड, भाण्ड, छत्र, मात्रक, यष्टिका, बैठने में सहारा लेने की काष्ट पट्टिका, पछेवड़ी, पर्दा लगाने का कपड़ा, चर्म, चर्म कोस एवं चर्मवेष्टनक अविरहित स्थान में रखकर अर्थात् किसी को सम्हलाकर गृहस्थ के परिवार में - घर में आहार-पानी के लिए प्रवेश करना, बाहर निकलना कल्पता है। - आहार-पानी आदि लेकर वापस लौटने पर, जिसे अपने उपयोग की वस्तुएं सम्हलाई थी, उससे पुनः आज्ञा प्राप्त कर, सूचित कर उन्हें लेना कल्पता है। विवेचन - इस सूत्र में ऐसे अतिवृद्धावस्था प्राप्त साधुओं की चर्या के संबंध में वर्णन है, जो एकाकी विहरणशील हों। इस सूत्र में जिन वस्तुओं का वर्णन किया गया है, साधु साधारणतः स्वस्थ और सशक्त अवस्था में उनका उपयोग नहीं करते, किन्तु वृद्धावस्था में शरीर दुर्बल हो जाता है। इसलिए साधु संयम में उपयोगी या साधनभूत होने के कारण शरीर की परिरक्षा की चिन्ता करता है। अत एव शारीरिक दुर्बलता की दृष्टि से जिन-जिन वस्तुओं की समय-समय पर आवश्यकता पड़ती है, उनको निरवद्य रूप में प्रतिगृहीत करना, उपयोग में लेना वृद्ध, अशक्त भिक्षु के लिए विहित है। यह वृद्धता, अशक्तता आदि को देखते हुए आपवादिक विधान है। उपरोक्त सूत्र में आये हुए 'छत्र' शब्द का आशय इस प्रकार समझना चाहिए - सूर्य की तेज धूप से रक्षा करने के लिए आँखों पर कपड़े की पट्टी जैसे बांधने के उपकरण को यहाँ पर 'छत्र' समझना चाहिए। किन्तु वर्षा से बचाव के लिए रखे जाने वाले छाते को यहाँ नहीं समझना चाहिए। ऐसे वृद्ध भिक्षु के लिए इस सूत्र में यह निर्देश किया गया है कि वह आहार-पानी के लिए जब गृहस्थों के यहाँ जाए तो इन वस्तुओं को सूनी न छोड़े, किसी को सम्हला कर जाए और वापस आने पर उसकी अनुज्ञा लेकर - उसको सूचित कर उन वस्तुओं को ले। वस्तुओं को यों ही छोड़ कर चले जाने से उनके तोड़-फोड़ की, चुराए जाने आदि की आशंका रहती है। व्यवस्थित जीवनचर्या बनाए रखने की दृष्टि से अपने उपकरण किसी की देखरेख में छोड़ कर जाना आवश्यक है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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