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व्यवहार सूत्र - तृतीय उद्देशक rakakakakakakixxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx युक्त आचरण करें, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करें तो इन कारणों से उसे जीवन भर के लिए आचार्य यावत् गणावच्छेदक पद देना, धारण करना नहीं कल्पता।
- ९३. बहुश्रुत, बहुआगमज्ञ गणावच्छेदक अनेक बार प्रगाढ विवादास्पद अनेक कारणों के होने पर, माया, मृषावाद तथा अपवित्रता युक्त आचरण करें, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करें तो इन कारणों से उसे यावजीवन आचार्य यावत् गणावच्छेदक पद देना और धारण करना नहीं कल्पता। ___९४. बहुश्रुत, बहुआगमवेत्ता आचार्य या उपाध्याय अनेक बार प्रगाढ विवादास्पद अनेक. कारणों के होने पर माया, मृषावाद और अपवित्रता युक्त आचरण करे, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करें तो इन कारणों से उन्हें जीवनभर के लिए आचार्य यावत् गणावच्छेदक पद देना एवं धारण करना नहीं कल्पता। ... ९५. बहुश्रुत, बहुआगमज्ञ बहुत से भिक्षु अनेक बार प्रगाढ विवादास्पद अनेक कारणों के होने पर माया, मृषावाद एवं अपवित्रता युक्त आचरण करें, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करे तो इन कारणों से उन्हें यावज्जीवन आचार्य यावत् गणावच्छेद पद देना तथा धारण करना नहीं कल्पता।. _ ९६. बहुश्रुत, बहुआगमवेत्ता बहुत से गणावच्छेदक अनेक बार प्रगाढ विवादास्पद अनेक कारणों के होने पर माया, मृषावाद तथा अपवित्रता युक्त आचरण करें, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करें तो इन कारणों से उन्हें जीवन भर के लिए आचार्य यावत् गणावच्छेदक पद देना और धारण करना नहीं कल्पता। ..
९७. बहुश्रुत, बहुआगमज्ञ बहुत से आचार्य या उपाध्याय अनेक बार प्रगाढ विवादास्पद अनेक कारणों के होने पर माया, मृषावाद और अपवित्रता युक्त आचरण करें, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करें तो इन कारणों से उन्हें यावज्जीवन आचार्य यावत् गणावच्छेदक पद देना एवं धारण करना नहीं कल्पता।
९८. बहुश्रुत, बहुआगमवेत्ता बहुत से भिक्षु, गणावच्छेदके, आचार्य या उपाध्याय अनेक बार प्रगाढ़ विवादास्पद अनेक कारणों के होने पर माया, मृषावाद एवं अपवित्रता युक्त आचरण करें, पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करें तो इन कारणों से उन्हें जीवन भर के लिए आचार्य यावत् गणावच्छेदक पद देना तथा धारण करना नहीं कल्पता। .. .
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