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दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र - नवम दशा kkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk
के आक्रमण से, पकुव्वइ - विशेष रूप से बांधता है, पाणिणा - हाथ से, संपिहित्ताणं - संपिहित कर - बद कर, सोयं - श्वास लेने के मुँह, नाक आदि स्रोत, आवरिय - ढककर, अंतोणदंतं - भीतर ही भीतर अन्तर्वेदनामय शब्द करते हुए, जायतेयं - अग्नि, समारब्भ - प्रज्वलित कर, ओलंभिया - अवरुद्ध कर - घेर कर, धूमेण - धुंए से - दम घोट कर, सीसम्मि - मस्तक पर, पहणइ - प्रहार करता है, उत्तमंगम्मि - उत्तमांग पर - शीर्ष पर, चेयसा - दुश्चिंतन करता हुआ, विभज्ज - भेदन कर, फाले - टुकड़े-टुकड़े कर डाले, वेढेण - गीले चमड़े से, आवेढेइ - आवेष्टित करता है - लपेटता है, तिव्वासुभसमायारे - तीव्र अशुभ परिणामों से युक्त, पणिहिए - मनोयोगपूर्वक, हणित्ता - मारकर, उवहसे - हंसकर, अदुव - अथवा, फलेणं - तीक्ष्ण नोकयुक्त हथियार, गूढायारी - महाकपटी, णिगूहिज्जा - छिपाता है, छायए - आच्छादित करता है, असच्चवाई - असत्यवादी - असत्य बोलता है, णिहाइ - सूत्रों के सही अर्थ को छिपाता है, धंसेइ - धर्षित करता है - आक्षेप करता है, अभूएणं - जो नहीं हुआ है, वैसे आरोप द्वारा, अत्तकम्मुणा :अपने दुष्कर्म द्वारा, तुमकासित्ति - तुमने ही किया है, जाणमाणो - जानता-बूझता, सच्चामोसाणि - सच-झूठ मिश्रित भाषा, अक्खीणझंझे - धर्मसंघ में भेदोत्पादक, दुर्विचारयुक्त, अणायगस्स - नायकोचित - राजोचित गुणरहित, णयवं - संचालक, दारे - स्त्रियों का, विउलं - विपुल, विक्खोभइत्ताणं - विरोध करने वालों को, पडिबाहिरं - अधिकार च्युत करे, उवगसंतंपि झंपिता - स्वयं शासन हथियाता हुआ, पडिलोमाहिं वग्गुहिं - प्रतिकूल वाणी द्वारा तिरस्कृत करता हुआ, वियारेइ - विघातयति - नाश करता है, अकुमारभूए - बाल ब्रह्मचारी नहीं है, कुमारभूएत्ति - बाल ब्रह्मचारी कहता है, इत्थीविसयगेहीए - स्त्री भोग में लोलुप, गद्दहेव्व'- गधे की तरह, विस्सरं - विस्वर - कर्ण कठोर, णयई - रेंकता है, अप्पणो - अपना, मायामोसं - कपटपूर्ण मिथ्या वचन, भसे - बोलता है, णिस्सिए - आश्रित होकर, उव्वहइ - जीवन निर्वाह करता है, जससाहिगमेण - स्वामी के यश एवं उसकी परिचर्या से, लुब्भइ - लोभ करता है, ईसरेण - स्वामी द्वारा, अणिस्सरे - अनधिकारी को, सरीकए - अधिकारी बना दिया, संपयहीणस्स - संपत्ति हीन को, सिरी - श्री - लक्ष्मी, ईसादोसेण - ईष्यारूप दोष से, आविटे - आविष्ट, कलुसाविलचेयसे - पाप से आवृत्त चित्त युक्त, चेएइ - उत्पन्न करता है, सप्पी - सर्पिणी, अंडउडं - अण्डों को, भतार - भर्तार - स्वामी, पसत्थारं - प्रशास्तारं - शासनकर्ता, कलाचार्य या धर्माचार्य.
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