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दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र - दशम दशा kakakakakakakakakakakakakakkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk ... आयुष्मान् श्रमणो! इस प्रकार के निदान का यह पाप रूप फल होता है कि वह सर्वथा । गृह त्याग कर, मुंडित होकर अगार से अनगार धर्म में प्रव्रजित नहीं हो पाता।
श्रमण होने का निदान एवं खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णत्ते जाव से य परक्कममाणे दिव्वमाणुस्सएहिं कामभोगेहिं णिव्वेयं गच्छेज्जा, माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुवा० असासया जाव विप्पजहणिजा, दिव्वावि खलु कामभोगा अधुवा जाव पुणरागमणिज्जा, जइ इमस्स सुचरियस्स तवणियम जाव वयमवि आगमेस्साणं जाइं इमाइं (कुलाई) भवंति (तंजहा)-अंतकुलाणि वा पंतकुलाणि वा तुच्छकुलाणि वा दरिदकुलाणि वा किवणकुलाणि वा भिक्खागकुलाणि वा, एएसि णं अण्णयरंसि कुलंसि पुमत्ताए पच्चाएस्सामि एस मे आया परियाए सुणीहडे भविस्सइ, से तं साहु। एवं खलु समणाउसो ! णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा णियाणं किच्चा तस्स ठाणस्स अणालोइय अप्पडिक्कंते सव्वं तं चेव, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइजा? हता! पव्वइज्जा, से णं तेणेव भवग्गहणेणं सिझेजा जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेजा! णो इणढे सम?।।३४॥
से णं भवइ से जे अणगारा भगवंतो इरियासमिया भासासमिया जाव बंभयारी तेणं विहारेणं विहरमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता आबाहसि उप्पण्णंसि वा जाव. भत्ताई पच्चक्खाएजा? हंता ! पच्चक्खाएजा, बहूई भत्ताई अणसणाई छेइज्जा? हंता ! छेइज्जा, आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवइ, एवं खलु समणाउसो ! तस्स णियाणस्स इमेयारूवे पावफलविवागे जंणो संचाएइ तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झित्तए जाव सव्वदुक्खाणमंतं करित्तए॥३५॥
कठिन शब्दार्थ - अंतकुलाणि - आर्थिक दृष्टि से कमजोर कुल, पंतकुलाणि - आर्थिक एवं बौद्धिक दृष्टि से सामान्य कुल, तुच्छकुलाणि - स्वल्प कुटुम्ब युक्त - कम पारिवारिकजनों की संख्या वाला कुल, दरिदकुलाणि - जन्म से ही निर्धन कुल, किवणकुलाणि- धन होते हुए भी निर्धन जैसे व्यवहार वाला कुल, भिक्खागकुलाणि -
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