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बृहत्कल्प सूत्र - प्रथम उद्देशक
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99. निवेश · व्यापारार्थ जाते हुए सार्थवाह - विशाल व्यापारिक समूह को साथ लिए जाने वाले बड़े व्यापारी जहाँ मार्ग में पड़ाव डालते, उसे निवेश कहा जाता था। वैसे स्थानों में आवास हेतु संभव है मकान, जल आदि की व्यवस्था हो।
१२. संबाध - अन्यत्र कृषि करने वाले कृषकों द्वारा पर्वत आदि स्थानों में अपने रहने के लिए बनाए गए अस्थायी आवास स्थान।
१३. घोष - जहाँ गोपालक (ग्वाले) अपनी गायों के साथ रहते, वैसी बस्तियों को घोष कहा जाता। वे प्रायः झोंपड़ी सदृश होतीं। 'घोष' शब्द संस्कृत में झोंपड़ी के लिए प्रयुक्त हुआ है। लोकभाषा में दुग्धव्यवसायी आज भी घोसी कहे जाते हैं। संस्कृत का मूर्धन्य षकार लोक भाषा में प्राकृत, अपभ्रंश की प्रवृत्ति के अनुरूप दन्त्य सकार में परिणत हो गया है।
१४. अंशिका - गाँव का आधा या कम-अधिक भाग अन्यत्र जाकर बस जाए, उसे अंशिका कहा जाता था।
१५. पुटभेदन - वह व्यावसायिक केन्द्र जहाँ पेटियों में आया हुआ थोक माल विभिन्न स्थानों में वितरित करने हेतु खोला जाता हो।
१६. राजधानी - जहाँ राज्य का स्वामी, शासक या राजा निवास करता, उसे राजधानी कहा जाता। ___१७. संकर • संकर शब्द 'मेल' का द्योतक है। जहाँ उपर्युक्त विविध प्रकार की बस्तियों की मिली जुली आबादी हो, वह संकर के नाम से अभिहित था।
से मामंसि वा जाव रायहाणिंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगणिक्खमणपवेसाए णो कप्पइ णिग्गंथाण य णिग्गंथीण य एगयओ वत्थए॥१०॥
से गामंसि वा जाव रायहाणिंसि वा अभिणिव्वगडाए अभिणिदुवाराए अभिणिक्खमणपवेसाए कप्पइ णिग्गंथाण य णिग्गंथीण य एगयओ वत्थए॥११॥
कठिन शब्दार्थ - एगवगडाए - एक प्राकार या विभागयुक्त, एगदुवाराए - एक द्वारा युक्त, एगणिक्खमणपवेसाए - एक ही निष्क्रमण और प्रवेश के मार्ग से युक्त, एगयओ - एक समय, अभिणिव्वगडाए - अनेक प्राकार युक्त, अभिणिदुवाराए - अनेक द्वार युक्त, अभिणिक्खमणपवेसाए - अनेक निष्क्रमण - प्रवेश मार्ग युक्त।
भावार्थ - १०. किसी ऐसे ग्राम यावत् राजधानी में, जो एक प्राकार से घिरा हो या
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