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४९ सागारिक के घर आगत तथा अन्यत्र प्रेषित आहार-ग्रहण विषयक विधि निषेध .. ********************************************************* सागारिक के घर आगत तथा अन्यत्र प्रेषित आहार-ग्रहण विषयक विधि निषेध
सागारियस्स आहडिया सागारिएण पडिग्गहिया तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहित्तए॥१७॥
सागारियस्स आहडिया सागारिएण अपडिग्गहिया, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए॥१८॥
सागारियस्स णीहडिया परेण अपडिग्गहिया, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहित्तए। सागारियस्स णीहडिया परेण पडिग्गहिया, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए॥१९॥ ___ कठिन शब्दार्थ - आहडिया - आए हुए, तम्हा - उसके यहाँ से, दावए - दिया गया।
- भावार्थ - १७. सागारिक के घर पर दूसरे के घर से आया हुआ आहार तथा दूसरे के . यहाँ भेजा गया आहार लेना नहीं कल्पता। .. १८. अन्य के घर से सागारिक के यहाँ आया हुआ, किन्तु सागारिक द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है, वहाँ दूसरा व्यक्ति साधु को दे तो वह लेना कल्पता है।
१९. सागारिक द्वारा प्रेषित, दूसरे द्वारा स्वीकार नहीं किया गया आहार यदि वह दे तो .(साधु-साध्वियों को) लेना नहीं कल्पता। - यदि (सागारिक द्वारा प्रेषित यह) आहार अन्य द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो लेना कल्पता है। .
विवेचन - गृहस्थों में पारिवारिक मैत्री आदि संबंधों के कारण खाद्य पदार्थों का उपहार आदि के रूप में लेन देन प्रेषण-आप्रेषण होता है। यदि किसी संबंधी या मित्र आदि ने सागारिक के यहाँ भोज्य पदार्थ भेजे हों, सागारिक ने उन्हें स्वीकार कर लिया हो, संयोगवश साधु वहाँ भिक्षार्थ चला जाए तो वह पदार्थ साधु के लिए इसलिए ग्राह्य नहीं है कि अब उस पर सागारिक का स्वामित्व हो जाता है। यदि लाने वाला भी देना चाहे तो वह भी दे नहीं सकता क्योंकि उसका उस पर स्वामित्व नहीं होता। . सागारिक द्वारा अन्य के यहाँ प्रेषित आहार में इसी प्रकार की मर्यादा है। जिसके यहाँ प्रेषित किया गया है, उसने स्वीकार नहीं किया है तथा देना चाहता है तो स्वामित्व के अभाव में फलित नहीं होता तथा स्वीकार करने के पश्चात् देने का अधिकारी हो जाता है।
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