________________
प्रथमो विलासः
112511
www
बायाँ हाथ विनीत वृत्ति का निवारण कर रहा है ।। अथ धीरोद्धत :मात्सर्यवानहङ्कारी मायावी रोषणश्चलः । विकत्थनो भार्गवादिर्धीरोद्धत उदाहृतः ।। ७८ ।। यथामहावीरचरिते (२.२८)
न त्रस्तं यदि नाम भूतकरुणासन्तानशान्तात्मनस्तन व्यारुजता धनुर्भगवतो देवाद्भवानीपतेः । तत्पुत्रस्तु मदान्धतारकवधाद् विश्वस्य दत्तोत्सवः स्कन्दः स्कन्द इव प्रियोऽहमथवा शिष्यः कथं विस्मृतः 112611
४. धीरोद्धत (नायक)- धीरोद्धत नायक ईर्ष्यावान् (दूसरों की उन्नति से डाह रखने वाला), अहंकारवान्, मायावी, क्रोधी, चञ्चल और आत्मप्रशंसक होता है।
(हनुमन्नाटक के ) परशुराम आदि नायक धीरोद्धत कहलाते हैं॥ ७८ ॥ जैसे (महावीरचरित २.२८ में ) -
यदि इसने शङ्कर जी के धनुष को तोड़ दिया तो इसको प्राणियों पर दया करने वाले भगवान् शिव का भय नहीं हुआ ! अथवा तारकासुर को मारकर विश्व को प्रसन्न करने वाले यह शङ्कर के पुत्र कार्तिकेय की या पुत्र के समान स्नेहपात्र मेरी याद नहीं रही । । 26 ।।
एते च नायकाः सर्वरससाधारणाः स्मृताः ।
शृङ्गारापेक्षया तेषां त्र्यैविध्यं कथ्यते बुधैः ।।७९।। पतिश्चोपपतिश्च वैशिकश्चेति भेदतः ।
पतिस्तु विधिना पाणिग्राहकः कथ्यते बुधैः ।। ८० ।।
यथा ( कुमारसम्भवे १.१८)
[ २३ |
स मानसीं मेरुसखः पितॄणां
कन्यां कुलस्य स्थितये स्थितज्ञः ।
मेनां मुनीनामपि माननीयामात्मानुरूपां विधिनोपमेये ।। 27 ।।
शृङ्गार नायक के भेद- सभी रसों के लिए सामान्य रूप से ये नायक कहे गए
हैं। शृङ्गार की दृष्टि से आचार्यों ने तीन प्रकार के नायकों को बतलाया है- १. पति २. उपपति ३. वैशिक।।७९-८०पू.।।
१. पति - आचार्यों ने विधिपूर्वक विवाह करने वाले नायक को पति कहा है।। ८०उ. ।।