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कालिदास पर्याय कोश
इति स्वहस्तोलिखितश्च मुग्धया रहस्युपालभ्यत चन्द्रशेखरः। 5/58 इस प्रकार नींद में उठकर ये अपने हाथ से बनाए हुए शंकर जी के चित्र को ही
सच्चे शंकर जी समझकर, उन्हें उलाहना देने लगती थीं। 15. जगद्गुरु :-महादेव।
अथ ते मुनयः सर्वे मानयित्वा जगद्गुरुम्। 6/15 तब सप्त ऋषियों ने शंकरजी का पूजन करके। एक पिंगलगिरौ जगदगुरुर्निर्विवेश विशदाः शशिप्रभाः। 8/24
शंकर जी से उजली चाँदनी का भरपूर आनन्द लूटा। 16. जगदीश :- शिव, महादेव, विष्णु।
जगदादिरनादिस्त्वं जगदीशो निरीश्वरः। 2/9 आपने संसार का प्रारंभ किया है पर आपका कभी प्रारम्भ नहीं हुआ। आप
संसार के स्वामी हैं, पर आपका कोई स्वामी नहीं है। 17. जगत्पति :-महादेव, शिव, शंकर।
यदा च तस्याभिगमे जगत्पतेरपश्य दन्यं नविधिविचिन्वती। 5/39
जब उन संसार के स्वामी शिवजी को पाने का इन्हें कोई दूसरा उपाय न सूझा । 18. जटामौलि :-महादेव, शिव, शंकर।
आवर्जित जटामौलिविलम्बि शशि कोटयः। 2/26
हार के दुःख से झुकी हुई नकली जटाओं में लटकती हुई, चन्द्र कलाओं वाले। 19. जितेन्द्रिय :-महादेव।
जितेन्द्रिय शूलिनि पुष्पचापः स्वकार्य सिद्धिं पुनराशशंस। 3/57 कामदेव के [उसके मन में जितेन्द्रिय महादेव जी को वश में करने की आशा
फिर हरी हो उठी। 20. ताराधिपखण्डधारी :-महादेव, शिव।
अध्वातमध्वान्त विकारलंघयस्ततार ताराधिप खण्डधारी। 7/48
सब विकारों से परे रहने वाले महादेवजी जब चलने लगे। 21. त्र्यम्बक :-महादेव, शिव, शंकर।
आसीनमासन्न शरीरपातस्त्रियम्बकं संयमिनं ददर्श। 3/44 थोड़ी ही देर में मृत्यु के मुंह पर पहुंचने वाला कामदेव देखता क्या है, कि उस पर महादेव जी समाधि लगाए बैठे हुए हैं।
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