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कालिदास पर्याय कोश वह गर्मी ऋतु आपकी ऐसी बीते कि रात को आप घर की छत पर लेटे हों, सुंदरियाँ आपको घेरे बैठी हों और मनोहर संगीत छिड़ा हो। न चन्दनं चन्द्रमरीचि शीतलं न हर्म्यपृष्ठं शरदिन्दुनिर्मलम्। 5/3 न किसी को चंद्रमा की किरणों से ठंडाया हुआ चंदन ही अच्छा लगता है, न शरद् के चंद्रमा के समान उजली छतें सुहाती हैं। ईषत्तुषारैः कृतशीतहर्म्यः सुवासितं चारु शिरश्च चम्पकैः। 6/3 घरों की छतों पर ठंडी ओस छा गई है, चंपे के फूलों से सबके सिर के जूड़े महकने लगे हैं। हवें प्रयाति शयितुं सुखशीतलं च कान्तां च गाढमुपगृहति शीतलत्वात्। 6/11 सोने के लिये ठंडी सुहावनी ठंडी कोठी में चले जाते हैं और थोड़ी-थोड़ी ठंड पड़ने के कारण अपनी प्यारियों को कसकर छाती से लिपटाए रहते हैं।
मणि
मणि - [ मण् + इन्] रत्नजड़ित आभूषण, रत्न, आभूषण। मणिप्रकाराः सरसं च चन्दनं शुचौ प्रिये यान्ति जनस्य सेव्यताम्। 1/2 आजकल लोग यह चाहते हैं कि इधर-उधर ढंग-ढंग के रत्न बिखरे पड़े हों
और सुगंधित चंदन चारों ओर छिड़का हुआ हो। स्त्रियश्च काञ्चीमणिकुण्डलोज्ज्वला हरन्ति चेतो युगपत्प्रवासिनाम्।2/20 करधनी तथा रत्न जड़े कुंडलों से सजी हुई स्त्रियाँ ये दोनों ही परदेसियों का मन एक साथ हर लेते हैं। स्फुटकुमुदचितानां राजहंसाश्रितानां मरकतमणिभासा वारिणा भूषितानाम्। 3/21 उन तालों के समान दिखाई पड़ रहा है, जिनमें नीलम के समान चमकता हुआ, जल भरा हुआ हो, जिनमें एक-एक राजहंस बैठा हुआ हो और जिनमें यहाँ-वहाँ बहुत से कुमुद खिले हुए हों। स्त्रीणां विहाय वदनेषु शशाङ्कलक्ष्मी काम्यं च हंसवचनं मणिनूपुरेषु। 3/27
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