Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 425
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 890 कालिदास पर्याय कोश अभी खिले हुए और स्त्रियों के मुख के समान सुंदर लगने वाले कुरबक के फूलों की अनोखी शोभा। कान्तावियोगपरिखेदितचित्तवृत्तिदृष्ट्वाऽध्वगः कुसुमितान्सहकारवृक्षान्। 6/28 अपनी स्त्रियों से दूर रहने के कारण जिनका जी बेचैन हो रहा है, वे यात्री जब मंजरियों से लदे हुए आम के पेड़ों को देखते हैं। 4. कामिनी - [कम् + णिनि] प्रिय स्त्री, मनोहर और सुंदर स्त्री, स्त्री। व्रजतु तव निदाघः कामिनीभिः समेतो निशि सुललित गीते हर्म्यपृष्ठे सुखेन। 1/28 वह गर्मी की ऋतु आपकी ऐसी बीते कि रात को आप अपने घर की छत पर लेटे हों, सुंदरियाँ आपको घेरे बैठी हों और मनोहर संगीत छिड़ा हुआ हो। बहुगुणरमणीयः कामिनीचित्तहारी तरुविटपलतानां बान्धवो निर्विकारः। बहुत से सुंदर गुणों से सुहावनी लगने वाली स्त्रियों का जी खिलाने वाली, पेड़ों की टहनियों और बेलों की सच्ची सखी। कुमुदरुचिरकान्तिः कामिनीवोन्मदेयं प्रतिदिशतु शरद्वश्चेतसः प्रीतिमग्रयाम्। 3/28 कोंई के शरीरवाली जो कामिनी के समान मस्त शरद ऋतु आई है, वह आप लोगों के मन में नई-नई उमंगे भरे। त्यजति गुरुनितम्बा निम्ननाभिः सुमध्या उषसि शयनमन्या कामिनी चारुशोभा। 5/12 एक दूसरी भारी नितंबों वाली, गहरी नाभि वाली, लचकदार कमरवाली और मनभावनी सुंदरतावाली स्त्री प्रातः काल पलँग छोड़कर उठ रही है। करकिसलयकान्तिं पल्लवैर्विदुमाभैरुपहसतिवसन्तः कामिनीनामिदानीम्। 6/31 वसंत मूंगे जैसी लाल-लाल कोमल पत्तों की ललाई दिखाकर उन कामिनियों की कोंपलों जैसी कोमल और लाल हथेलियों को जला रहा है। 5. तरुणी - [तृ + उनन् + ङीप्] युवती या जवान स्त्री। For Private And Personal Use Only

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