Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 434
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋतुसंहार 899 स्त्रियाँ अपने स्तनों पर माला डालकर और मदिरा पीकर अपने प्रेमियों के मन में प्रेम उकसा रही हैं। स्त्रियश्च काञ्चीमणिकुण्डलोज्ज्वला हरन्ति चेतो युगपत्प्रवासिनाम्।2/20 और करधनी तथा रत्न जड़े कुंडलों से सजी हुई स्त्रियाँ, ये दोनों ही परदेसियों का मन एक साथ हर लेते हैं। श्यामालताः कुसुमभारनतप्रवालाः स्त्रीणां हरन्ति धृतभूषणबाहुकान्तिम्। 3/18 जिन हरी बेलों की टहनियाँ फूलों के बोझ से झुक गई हैं, उनकी सुंदरता ने स्त्रियों की गहनों से सजी हुई बाहों की सुंदरता छीन ली है। स्त्रीणां विहाय वदनेषु शशाङ्कलक्ष्मी काम्यं च हंसवचनं मणिनूपुरेषु। 3/27 कहीं तो चंद्रमा की चमक को छोड़कर स्त्रियों के मुंह में पहुंच गई हैं, कहीं हंसों की मीठी बोली छेड़कर उनके रतन जड़े बिछुओं में चली गई है। प्रकामकालागरुधूपवासितं विशन्ति शय्यागृहमुत्सुकाः स्त्रियः। 5/5 स्त्रियाँ, काले अगरू के धूप से महकने वाले शयन घरों में बड़े चाव से चली जा रही हैं। निरीक्ष्य भर्तृन्सुरताभिलाषिणः स्त्रियोऽपराधान्समदाविसस्मरुः। 5/6 मदमाती स्त्रियों के पति जब उनके पास संभोग करने के लिए आते हैं, तो उनको देखते ही वे उनका सब अपराध भूलकर उनसे संभोग करने लगती हैं। भ्रमन्ति मन्दं श्रमखेदितोरवः क्षपावसाने नवयौवनाः स्त्रियः। 5/7 वे स्त्रियाँ, रात के परिश्रम से दुखती हुई जाँघों के कारण प्रातःकाल बड़े धीरे-धीरे चल रही हैं। निवेशितान्तः कुसुमैः शिरोरुहैर्विभूषयन्तीव हिमागमं स्त्रियः। 5/8 बालों में फूल गूंथे हुए स्त्रियाँ ऐसी लग रही हैं, मानो जाड़े के स्वागत का उत्सव मानने के लिए सिंगार कर रही हैं। निशासु हृष्टा सह कामिभिः स्त्रियः पिबन्ति मद्यं मदनीयमुत्तमम्। 5/10 स्त्रियाँ बड़े हर्ष से अपने प्रेमियों के साथ रात में मद बहाने वाली और कामवासना जगाने वाली वह मदिरा पीती हैं। For Private And Personal Use Only

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