Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 433
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 898 कालिदास पर्याय कोश विलासिनीभिः परिपीडितोरसः स्वपन्ति शीतं परिभूयकामिनः। 5/9 इन दिनों प्रेमी लोग कामिनियों को कसकर छाती से लिपटाये हुए जाड़ा भगाकर सोते हैं। कुसुम्भरागारुणितैर्दुकूलैर्नितम्बबिम्बानि विलासिनीनाम्। 6/5 कामिनियों ने अपने गोल-गोल नितंबों पर कुसुम के लाल फूलों से रंगी रेशमी साड़ी पहन ली है। सपत्रलेखेषु विलासिनीनां वक्त्रेषु हेमाम्बुरुहोपमेषु। 6/8 सुनहरे कमल के समान सुहावने और बेलबूटे चीते हुए स्त्रियों के मुखों पर। प्रियङ्गकालीयककुङ्कुमाक्तं स्तनेषु गौरेषु विलासिनीभिः। 6/14 स्त्रियाँ प्रियंगु, कालीयक और केसर घोल कर अपने गोरे-गोरे स्तनों पर लेप कर रही हैं। 17. सुवदना - सुंदर मुख वाली स्त्री, सुंदर स्त्री, स्त्री। यत्कोकिलः पुनरयं मधुरैर्वचोभियूनां मनः सुवदना निहितं निहन्ति। 6/22 अपनी प्यारियों (स्त्रियों) के मुखड़ों पर रीझे हुए प्रेमियों के हृदय को यह कोयल भी अपनी मीठी कूक सुना-सुना कर टूक-टूक कर रही है। 18. स्त्री - [स्त्यायेते शुक्रशोणिते यस्याम् - स्त्यै + ड्रप् + ङीप्] नारी, औरत, पत्नी। शिरोरुहैः स्नानकषायवासितैः स्त्रियो निदाघं शमयन्ति कामिनाम्। 1/4 इन दिनों स्त्रियाँ अपने प्रेमियों की तपन मिटाने के लिए अपने उन जूड़ों की गंध सुंघाती हैं, जो उन्होंने स्नान के समय सुगंधित फूलों में बसा लिए थे। स्त्रियः सुदुष्टा इव जातविभ्रमाः प्रयान्ति नद्यस्त्वरितं पयोनिधिम्। 2/7 जैसे कला स्त्रियाँ प्रेम में अंधी होकर बिना सोचे-विचारे अपने को खो बैठती हैं, वैसे ही ये नदियाँ वेग से दौड़ी हुई समुद्र की ओर चली जा रही हैं। तडित्प्रभादर्शितमार्गभूमयः प्रयान्ति रागादभिसारिकाः स्त्रियः। 2/10 लुक-छिप कर अपने प्यारे के पास प्रेम से जाने वाली कामिनियाँ बिजली की चमक से आगे का मार्ग देखती हुई चली जा रही हैं। स्तनैः सहारैर्वदनैः ससीधुभिः स्त्रियो रतिं संजनयन्ति कामिनाम्। 2/18 For Private And Personal Use Only

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