Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 424
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋतुसंहार 889 पत्युर्वियोगविषदिग्धशरक्षतानां चन्द्रो दहत्यतितरां तनुमङ्गनानाम्। 3/9 चंद्रमा, उन स्त्रियों के अंग, बहुत भूने डाल रहा है, जो अपने पतियों के बिछोह के विष बुझे बाणों से घायल घरों में पड़ी-पड़ी कलप रही हैं। हंसैर्जिता सुललिता गतिरङ्गनानामम्भोरुहैर्विकसितैर्मुखचन्द्रकान्तिः। 3/17 हंसों ने सुंदरियों की मनभावनी चाल को, कमलिनियों ने उनके चंद्रमुख की चमक को हरा दिया है। संसूच्यते निर्दयमङ्गनानां रतोपभोगो नवयौवनानाम्।4/13 इससे नवयुवतियों के प्रेमी उनका जी-जान से संभोग कर रहे हैं यह पता चल रहा है। कुर्वन्ति कामं पवनावधूतैः पर्युत्सुकं मानसमङ्गनानाम्। 6/17 जब पवन के झोंके में हिलने लगते हैं तो उन्हें देखकर स्त्रियों के मन उछलने लगते हैं। अबला - स्त्री। गुरूणि वासांस्यबला: सयौवनाः प्रयान्ति कालेऽत्र जनस्य सेव्यताम्। 5/2 आजकल लोग मोटे-मोटे कपड़े पहनकर और युवती स्त्रियों से लिपटकर दिन बिताते हैं। कांता - [कम् + क्त + टयप्] प्रेमिका, लावण्यमयी स्त्री, गृह स्वामिनी, पत्नी। अनुपममुखरागा रात्रिमध्ये विनोदं शरदि तरुणकान्ताः सूचयन्ति प्रमोदान्। 3/24 शरद में अनूठे प्रकार से मुँह रंगने वाली युवतियाँ यह बता डालती हैं कि रात में कैसे-कैसे आनंद लूट गया। हयं प्रयाति शयितुं सुखशीतलं च कान्तां च गाढमुपगृहति शीतलत्वात्। 6/11 सोने के लिए सुहावनी ठंडी कोठी में पहुँच जाते हैं और ठंड पड़ने के कारण अपनी स्त्रियों (प्यारियों) को कसकर छाती से लिपटाए रहते हैं। कान्तामुखद्युतिजुषामचिरोद्गतानां शोभां परां कुरबक दुममञ्जरीणाम्। 6/20 For Private And Personal Use Only

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