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ऋतुसंहार
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करकमलमनोज्ञाः कान्तसंसक्तहस्ता
वदनविजितचन्द्राः काश्चिदन्यास्तरुण्यः । 3/23
चंद्रमा से भी अधिक सुन्दर मुखवाली स्त्रियाँ (युवतियाँ) अपने सुंदर कमल जैसे हाथ अपने प्रेमी के हाथ में डालकर ।
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रतिश्रमक्षामविपाण्डुवक्त्राः संप्राप्तहर्षाभ्युदयास्तरुण्यः । 4/6
संभोग की थकान से पीले और मुरझाए हुए मुखों वाली युवतियाँ हँसने की बात पर भी ।
पीनोन्नतस्तनभरानतगात्रयष्ट्यः कुर्वन्ति केशरचनामपरास्तरुण्यः 14/16 जिन स्त्रियों के शरीर, मोटे और ऊँचे स्तनों के कारण झुक गए हैं, वे फिर से अपने बालों को सँवार रही हैं।
सुरतसमयवेषं नैशमाशु प्रहाय दधति दिवसयोग्यं वेषमन्यास्तरुण्यः 15/14 स्त्रियाँ रात के संभोग वाले वस्त्र उतारकर दिन में पहनने वाले कपड़े पहन रही हैं।
6. नारी [ नृ + नर वा जातौ ङीष् नि०] स्त्री । श्रुत्वा ध्वनिं जलमुचां त्वरितं प्रदोषे
अभिमतरतवेषं नन्दयन्त्यस्तरुण्यः
सवितुरुदयकाले भूषयन्त्याननानि । 5/15
अपने मनचाहे संभोग के वेश पर खिलखिलाती हुई स्त्रियाँ प्रातः काल अपने मुँह सजा रही हैं।
शय्यागृहं गुरुगृहात्प्रविशन्ति नार्यः । 2 / 22
स्त्रियाँ बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर झट अपने घर के बड़े-बूढ़ों के पास से उठकर सही साँझ को ही अपने शयनघर में घुस जाती हैं।
नवजलकणसेकादुद्गतां रोमराजीं
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ललितवलिविभङ्गैर्मध्यदेशैश्च नार्यः । 2/26
स्त्रियों के पेट पर दिखाई देने वाली सुंदर तिहरी सिकुड़नों पर जब वर्षा की नई फुहार पड़ती है, तो वहाँ के नन्हें- नन्हें रोएँ खड़े हो जाते हैं।
पादाम्बुजानि कलनूपुरशेखरैश्च नार्यः प्रहृष्टमनसोऽद्यविभूषयन्ति । 3 / 20