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ऋतुसंहार
आम्री मञ्जुलमञ्जरी वरशरःसत्किंशुकं यद्धनु
या॑यस्यालिकुलं कलङ्करहितं छत्रं सितांशुः सितम्। 6/38 जिसके आम के बौर ही बाण हैं, टेसू ही धनुष हैं, भौंरो की पाँत ही डोरी है, उजला चंद्रमा ही निष्कलंक छत्र है। सायक - [ सो + ण्वुल्] बाण। सुतीक्ष्णधारापतनाग्रसायकैस्स्तुदन्ति चेतः प्रसभं प्रवासिनाम्। 2/4 अपनी तीखी धारों के पैने बाण बरसाकर परदेसियों का मन कसमसा रहे हैं। प्रफुल्लचूताङ्करतीक्ष्णसायको द्विरेफमालाविलसद्धनुर्गुणः। 6/1 फूले हुए आम की मंजरियों के पैने बाण लेकर और अपने धनुष पर भौंरों की पाँतों की डोरी-चढ़ाकर।
सुरेन्द्र 1. इन्द्र - [इन्द् + रन्, इन्दतीति इन्द्रः, इदि ऐश्वर्ये - मलि०] देवों का स्वामी,
वर्षा का देवता। अपहृतमिव चेतस्तोयदैः सेन्द्रचापैः पथिक जनवधूनां तद्वियोगाकुलानाम्। 2/23 जिन बादलों में इंद्र-धनुष निकल आया है, उन्होंने परेदसियों की उन स्त्रियों
की सब सुध-बुध हर ली है। जो अपने प्यारों के बिछोह में व्याकुल हुई बैठी हैं। 2. बलभिद् - [बल + अच् + भिद्] इंद्र का विशेषण।
नष्टं धनुर्बलभिदो जलदोदरेषु सौदामिनी स्फुरति नाद्यवियत्पताका।3/12 आजकल न तो बादलों में इन्द्रधनुष रह गए हैं, न ही विजय पताका के समान बिजली ही चमकती है। 3. शक्र - [शक् + रक्] इंद्र।
तडिल्लताशक्रधनुर्विभूषिताः पयोधरास्तोयभरावलम्बिनः। 2/20 इंद्रधनुष और बिजली के चमकते हुए पतले धागों से सजी हुई और पानी के
भार से झुकी हुई घटाएँ। 4. सुरेन्द्र - [सुष्ठुराति ददात्यभीष्टम् -सु + रा + क + इन्द्रः] इंद्र का नाम, इंद्र।
बलाहकाश्चाशनिशब्दमर्दलाः सुरेन्द्रचापं दधतस्तडिदगुणम्। 2/4
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