Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 414
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋतुसंहार 879 अभी खिले हुए और स्त्रियों के मुख के समान सुंदर लगने वाले कुरबक के पेड़ की अनोखी शोभा देखकर। नानामनोज्ञकुसुमदुमभूषितान्ताहष्टान्यपुष्टनिनदाकुलसानुदेशान्। 6/27 जिन पर्वतों की चोटियों के ओर-छोर पर सुंदर फूलों के पेड़ खड़े हैं। 3. पादप - [पद् + घञ् + पः] वृक्ष। नवजलकणसङ्गाच्छीततामादधानः कुसुमभरतानां लासकः पादपानाम्। 2/27 वर्षा के नए जल की फुहारों से ठंडा बना हुआ पवन, फूलों के बोझ से झुके हुए पेड़ों को नचा रहा है। छायां जनः समभिवाञ्छति पादपानां नक्तं तथेच्छति पुनः किरणं सुधांशोः। 6/11 इन दिनों लोग दिन में तो वृक्षों की शीतल छाया में रहना चाहते हैं, और रात में चंद्रमा की किरणों का आनंद लेना चाहते हैं। 4. विटप - [विटं विस्तारं वा पाति पिबति – पा + क] शाखा, वृक्ष। तटविटपलताग्रालिङ्गनव्याकुलेन दिशि दिशि परिदग्धाभूमयः पावकेन। 1/24 तीर पर खड़े हुए वृक्षों और लताओं की फुनगियों को चूमती जाने वाली आग से जहाँ-तहाँ धरती जल गई है। 5. वृक्ष - [व्रश्च् + क्स्] पेड़। परिणतदलशाखानुत्पतन् प्रांशुवृक्षान्भ्रमति पवनधूतः सर्वतोऽग्निर्वनान्ते। 1/26 पवन से भड़काई आग उन ऊँचे वृक्षों पर उछलती हुई वन में चारों ओर घूम रही है, जिनकी डालियों के पत्ते पक-पककर झड़ते जा रहे हैं। कान्तावियोगपरिखेदितचित्तवृत्तिदृष्ट्वाऽध्वगः कुसुमितान्सहकार वृक्षान्। 6/28 अपनी स्त्रियों से दूर रहने के कारण जिसका जी बेचैन हो रहा है. वे यात्री मंजरियों से लदे आम के पेड़ों को देखते हैं। For Private And Personal Use Only

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