Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 413
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 878 कालिदास पर्याय कोश 2. दुम - [P : शाखाऽस्त्यस्य - मः] वृक्ष। श्वसिति विहगवर्गः शीर्णपर्णदुमस्थः कपिकुलमुपयाति क्लान्त मद्रेनिकुञ्जम्। 1/23 जिन वृक्षों के पत्ते झड़ गए हैं, उन पर बैठी हुई सभी चिड़ियाँ हाँफ रही हैं, उदास बंदरों के झुंड पहाड़ की गुफाओं में घुसे जा रहे हैं। बहुतर इव जातः शाल्मलीनां वनेषु स्फुरति कनकगौरः कोटरेषु दुमाणाम्। 1/26 सेमर के वृक्षों के कुंजों में फैली हुई आग वृक्ष के खोखलों में अपना सुनहला प्रकाश चकमाती हुई। निपातयन्त्यः परितस्तटदुमान्प्रवृद्धवेगैः सलिलैरनिर्मलैः। 2/7 अपने मटमैले पानी की बाढ़ से जहाँ-तहाँ अपने किनारे के वृक्षों को ढहाती हुई। वनानि वैन्ध्यानि हरन्ति मानसं विभूषितान्युद्गतपल्लवैर्दुमैः। 279 नई कोपलों वाले वृक्षों से छाए हुए विंध्याचल के जंगल किसका मन नहीं लुभा लेते। कर्णान्तरेषु ककुभदुममञ्जरीभिरिच्छानुकूलरचितानवतंसकाँश्च। 2/21 ककुभ वृक्ष के फूलों के मनचाहे ढंग से बनाए हुए कर्णफूल अपने कानों में पहनती हैं। दुमाः सपुष्पाः सालिलं सपऱ्या स्त्रियः सकामाः पवनः सुगन्धिः। 6/12 सब वृक्ष फूलों से लद गए हैं, जल में कमल खिल गए हैं, स्त्रियाँ मतवाली हो चली हैं, वायु में सुगंध आने लगी हैं। चूतदुमाणां कुसुमान्वितानां ददाति सौभाग्यमयं वसन्तः। 6/4 वसंत के आने से मंजरी से लदे आम के वृक्ष और भी सुहावने लगने लगे हैं। ताम्रप्रवालस्तबकावनश्चूतदुमाः पुष्पित चारुशाखाः। 6/17 लाल-लाल कोंपलों के गुच्छों से झुके हुए और सुंदर मंजरियों से लदी हुई शाखाओं वाले आम के पेड़। कान्तामुखद्युतिजुषामचिरोद्गतानां शोभां परां कुरबकदुममञ्जरीणाम्। 6/20 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441