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कालिदास पर्याय कोश कर्णेषु च प्रवरकाञ्चनकुण्डलेषु नीलोत्पलानि विविधानि निवेशयन्ति। 3/19 अपने जिन कानों में वे सोने के बढ़िया कुंडल पहना करती थीं, उनमें उन्होंने अनेक प्रकार के नीले कमल लटका लिए हैं। कर्णेषु योग्यं नवकर्णिकारं चलेषु नीलेष्वलकेष्वशोकम्। 6/6 कानों में लटके हुए सजीले कनैर के फूल और चंचल, काली, धुंघराली लटों
में अशोक के फूल। 2. श्रवण - [श्रु + ल्युट्] कान।
कनककमलकान्तैश्चारुताम्राधरोष्ठैः श्रवणतटनिषक्तैः पाटलोपान्त नेत्रैः। 5/13 सुंदर लाल-लाल ओठों वाले, लाल कोरों से सजी हुई कानों के तट तक फैली
हुई बड़ी-बड़ी आँखों वाले सुनहले कमल के समान चमकने वाले। 3. श्रुति - [श्रु + क्तिन] कान।
विपत्रपुष्पां नलिनी समुत्सुका विहाय भृङ्गाः श्रुतिहारिनिस्वनाः। 2/14 कानों को सुहाने वाली मीठी तानें लेकर गूंजते हुए भौरे उस कमल को
छोड़-छोड़ कर चले जा रहे हैं, जिसके पत्ते और फूल झड़ गए हैं। 4. श्रोत्र - [श्रूयतेऽनेन - श्रु करणे + ष्ट्रन] कान।
उत्कूजितैः परभृतस्य मदाकुलस्य श्रोत्रप्रियैर्मधुकरस्य च गीतनादैः। 6/34 मदमस्त कोकिल की कूक से और कानों में भाने वाली भौंरों की मनभावनी गुंजारों से।
सर
1. तोयाशय - झील, सरोवर, ताल, तालाब।
श्रियमतिशयरूपां व्योम तोयाशयानां वहति विगतमेघं चन्द्रतारावकीर्णम्। 3/21 खिले हुए चंद्रमा और छिटके हुए तारों से भरा हुआ आजकल का खुला आकाश उन तालों के सामन दिखाई पड़ रहा है।
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