Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 406
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋतुसंहार 871 एक दूसरी स्त्री, अपने प्यारे से उपभोग किए हुए शरीर को देखकर बड़ी मगन होती हुई अपने अधरों को फिर पहले की तरह सुंदर बनाकर। अन्याश्चिरं सुरतकेलिपरिश्रमेण खेदं गताः प्रशिथिलीकृतगात्रयष्ट्यः। 4/18 बहुत देर तक संभोग करते-करते जो युवतियाँ थक गई हैं, जिनके कोमल और लचकीले शरीर ढीले पड़ गए हैं। उच्छ्वासयन्त्यः श्लथबन्धनानि गात्राणि कंदर्पसमाकुलानि। 6/9 कामवासना से पीड़ित स्त्रियाँ अपने अंग उघाड़ती हुई उन्हें ललचा रही हैं। आलम्बिहेमरसनाः स्तनसक्तहाराः कंदर्पदर्पशिथिलीकृतगात्रयष्ट्यः। 6/26 कमर में सोने की करधनी बाँधे, स्तनों पर मोती के हार लटकाए और काम की उत्तेजना से ढीले शरीर वाली। 3. तनु - [तन् + उसि] शरीर । पत्युर्वियोगविषदग्धशरक्षतानां चन्द्रो दहत्यतितरां तनुमङ्गनानाम्। 3/9 वही चंद्रमा, उन स्त्रियों के अंग बहुत भूने डाल रहा है, जो अपने पतियों के बिछोह के विष बुझे बाणों से घायल हुई घरों में पड़ी-पड़ी कलप रही हैं। 4. देह - [दिह + घञ्] शरीर। गजगवयमृगेन्द्रा वह्नि संतप्तदेहा सुहृद इव समेता द्वन्द्वभावं विहाय। 1/27 आग से घबराए और झुलसे हुए शरीर वाले हाथी, बैल और सिंह आज मित्र बनकर साथ-साथ इकट्ठे होकर। अन्या प्रकामसुरतश्रमखिन्नदेहा रात्रिप्रजागर विपाटलनेत्रपमा। 4/15 अत्यंत संभोग से थके शरीर के कारण एक दूसरी स्त्री की कमल जैसी आँखें रात भर जागने से लाल हो गई हैं। प्रियतमपरिभुक्तं वीक्षमाणां स्वदेहं व्रजति शयनवासाद्वासमन्यं हसन्ती। 5/11 अपने प्रियतम से उपभोग किए हुए अपने शरीर को देखती हुई अपने शयन घर से दूसरे घर में चली जा रही है। अभिमुखमभिवीक्ष्य क्षामदेहोऽपि मार्गे मदनशरनिघातैर्मोहमेति प्रवासी। 6/30 For Private And Personal Use Only

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