Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 408
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 873 ऋतुसंहार पके हुए धान से लदे हुए सुंदर खेत, इस संसार में किस युवक का मन डाँवाडोल नहीं कर देते। 2. शालि - [शाल् + णिनि] चावल, धान। आपक्वशालिरुचिरानतगात्रयष्टिः प्राप्ता शरन्नवधूरिवरूपरम्या। 3/1 पके हुए धान से मनोहर शरीरवाली शरद ऋतु, नई ब्याही हुई रूपवती बहू के समान अब आ पहुँची है। आकम्पयन्फलभरानतशालिजालान्यानर्तयँस्तरुवरान्कुसुमावनम्रान्। 3/10 अन्न भरी हुई बालियों के बोझ से झुके धान के पौधों को कँपाता हुआ, फूलों से लदे हुए सुंदर वृक्षों को नचाता हुआ। संपन्नशालिनिचयावृतभूतलानि स्वस्थस्थितप्रचुरगोकुलशोभितानि।3/10 जहाँ के खेतों में भरपूर धान के पौधे लहलहा रहे हैं, जहाँ घास के मैदान में बहुत सी गौएँ चर रही हैं। नवप्रवालोद्गमसस्यरम्यः प्रफुल्ललोध्रः परिपक्वशालिः। 4/1 जिसमें गेहूँ, जौं आदि के नये-नये अंकुरों के निकल आने से चारों ओर सुहावना दिखलाई देने लगा है, लोध के पेड़ फूलों से लद गए हैं, धान पक चला है। प्रभूतशालिप्रसवैश्चितानि मृगाङ्गनायूथविभूषितानि। 4/8 जिन खेतों में भरपूर धान लहलहा रहा है, हरिणियों के झुंड के झुंड चौकड़ियाँ भर रहे हैं। बहुगुणरमणीयो योषितां चित्तहारी परिणतबहुशालिव्याकुलग्रामसीमा। 4/19 जो अपने अनेक गुणों से मन को मुग्ध करने वाली और स्त्रियों के चित्त को लुभाने वाली है, जिसमें गाँवों के आस-पास पके हुए धान के खेत लहलहाते हैं। प्रचुरगुडविकारः स्वादुशालीक्षुरम्यः प्रबलसुरतकेलिर्जातकन्दर्पदर्पः। 5/16 जिस ऋतु में मिठाइयाँ बहुत मिलती हैं, स्वाद लगने वाले चावल और ईख चारों ओर सुहाते हैं, लोग बहुत संभोग करते हैं, कामदेव भी पूरे वेग से बढ़ जाता है। For Private And Personal Use Only

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