Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 405
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achary 870 कालिदास पर्याय कोश कालागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताङ्गः पुष्पावतंससुरभीकृतकेशपाशाः। 2/22 जिनके अंगों पर अगरू-मिला चंदन लगा हुआ है, जिनके बाल फूलों के गुच्छों से महक रहे हैं। पुष्पासवामोदसुगन्धिवक्त्रो निःश्वासवातैः सुरभीकृताङ्गः। 4/12 फूलों के गंध की भीनी और मीठी सुगंध वाले मुँह से मुँह लगाकर और साँसों से सुगंधित अंगों से अंग मिलाकर। अङ्गान्यनङ्गः प्रमदाजनस्य करोति लावण्यससंभ्रमाणिः। 6/10 कामवासना से पीड़ित स्त्रियों के सारे शरीर में कुछ अनोखा ही रसीलापन आ जाता है। अङ्गानि निद्रालसविभ्रमाणि वाक्यानि किंचिन्मदिरालसानि। 6/13 (काम से स्त्रियों का) शरीर अलसा जाता है, मद से उनका बोलना-चालना कठिन हो जाता है। सुगन्धिकालागरुधूपितानि धत्ते जनः काममदालसाङ्गः। 6/15 कामदेव के मद में अलसाए शरीर वाली (स्त्रियाँ) कालागरु के धुएँ से सुगंधित किए हुए। 2. गात्र - [गै + वन्, गातुरिदं वा, अण्] शरीर, शरीर का अंग या अवयव। आपक्वशालिरुचिरानतगात्रयष्टि: प्राप्ता शरन्नवधूरिवरूपररम्या। 3/1 पके हुए धान से मनोहर शरीर वाली शरद ऋतु नई व्याही हुई रूपवती बहू के समान आ चुकी है। गात्राणि कालीयकचर्चितानि सपत्रलेखानि मुखाम्बुजानि। 4/5 अपने शरीर पर चंदन मलती हैं, अपने कमल जैसे मुँह पर अनेक प्रकार के बेलबूटे बनाती हैं। पीनोन्नतस्तनभरानतगात्रयष्ट्यः कुर्वन्ति केशरचनामपरास्तरुण्यः। 4/16 जिन स्त्रियों के शरीर, मोटे और ऊँचे स्तनों के कारण झुक गए हैं, वे फिर से अपने बालों को सँवार रही हैं। अन्या प्रियेण परिभुक्तमवेक्ष्य गात्रं हर्षान्विता विरचिताधर चारुशोभा। 4/17 For Private And Personal Use Only

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