________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ऋतुसंहार
869 वर्षा के नये जल से गर्मी दूर हो जाने पर, केतकी की उजली कलियों को देखकर ऐसा लगता है, मानों पूरा जंगल खिलखिलाकर हँस रहा हो। दुमाः सपुष्पाः सलिलं सपा स्त्रियः सकामाः पवनः सुगन्धिः। 6/2 सब वृक्ष फूलों से लद गए हैं, जल में कमल खिल गए हैं, स्त्रियाँ मतवाली हो गई हैं, वायु में सुगंध आने लगी है।
विहग 1. अंडज - [ अम् + ड + जः] पक्षी, पंखदार जंतु।
चञ्चन्मनोज्ञशफरीरसनाकलापाः पर्यन्तसंस्थितसिताण्डज पङ्क्तिहाराः। 3/3 उछलती हुई सुंदर मछलियाँ ही उनकी करधनी हैं, तीर पर बैठी हुई उजली चिड़ियों की पाँतें ही उनकी मालाएँ हैं। शेफालिकाकुसुमगन्धमनोहराणि स्वस्थस्थिताण्डजकुल प्रतिनादितानि। 3/14 शेफालिका के फूलों की मनभावनी सुगंध फैली हुई है, जिनमें निश्चित बैठी
हुई चिड़ियों की चहचहाहट चारों ओर गूंज रही है। 2. पक्षी - [पक्ष + इनि] पक्षी, पंख युक्त जंतु।
तृषाकुलैश्चातकपक्षिणां कुलैः प्रयाचितास्तोयभरावलम्बिनः। 2/3 जिनसे प्यासे पपीहे पक्षी पिउ-पिउ करके पानी माँग रहे हैं, ऐसे पानी के भार
से नीचे झुके हुए। 3. विहग - [विहायसा गच्छति, गम् + ड, नि०] पक्षी।
श्वसिति विहगवर्गः शीर्णपर्णद्रुमस्थः कपिकुलमुपयाति क्लान्तमदेनिकुञ्जम्। 1/23 जिन वृक्षों के पत्ते झड़ गए हैं, उन पर बैठी हुई सभी चिड़ियाँ हाँफ रही हैं, उदास बंदरों के झुंड पहाड़ की गुफाओं में घुसे जा रहे हैं।
शरीर
1.
अङ्ग - [अङ्ग + अच्] शरीर, शरीर का अंग या अवयव।
For Private And Personal Use Only