________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
ऋतुसंहार
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
843
कान्तामुखद्युतिजुषामचिरोद्गतानां शोभां परां कुरबकद्दुममञ्जरीणाम् । 6/20
अभी खिले हुए और स्त्रियों के मुख के समान सुंदर लगने वाले कुरबक के
फूलों की अनोखी शोभा देखकर ।
किं किंशुकैः शुकमुखच्छविभिर्न भिन्नं
किं कर्णिकारकुसुमैर्न कृतं नु दग्धम्। 6/33
सुग्गे की ठोर मुँह के समान लाल टेसू के फूलों ने कुछ कम टूक-टूक कर रखा था या कनैर के फूलों ने कुछ कम जला रखा था।
मधुसुरभि मुखाब्जे लोचने लोध्रताम्रे नवकुरबकपूर्णः केशपाशो मनोज्ञः 1 6/33
आसव से महकता हुआ कमल के समान मुख, उनकी लोध जैसी लाल-लाल आँखें, नए कुरबक के फूलों से सजे हुए उनके सुंदर जूड़े।
3. वक्त्र [ वक्ति अनेन वच् - करणे ष्ट्रन् ] मुख, चेहरा ।
सफेनलालावृतवक्त्रसंपुट: विनिःसृतालोहितजिह्वमुन्मुखम् । 1 / 21
जिनके मुँह से झाग निकल रही है और लार बह रही है, वे अपना मुँह खोलकर अपनी लाल-लाल जी बाहर निकाले हुए।
काशांशुका विकचपद्ममनोज्ञवक्त्रा सोन्मादहंसरवनूपुरनाद रम्या | 3/1 फूले हुए काँस के समान कपड़े पहने, मस्त हंसों की बोली के सुहावने बिछुए पहने और खिले हुए कमल के समान सुंदर मुख वाली । तारागणप्रवरभूषणमुद्वहन्ती मेघावरोधपरिमुक्त शशाङ्कवक्त्रा । 3/7 बादल हटे हुए चंद्रमा के मुँहवाली आजकल की रात तारों के सुहावने गहने पहने हुए बढ़ती चली जा रही है।
विकचकमलवक्त्रा फुल्लनीलोत्पलाक्षी
विकसितनवकाश श्वेतवासो वसाना। 3 / 28
For Private And Personal Use Only
खिले हुए उजले कमल के मुखवाली, फूले हुए नीले कमल की आँखों वाली, फूले हुए काँस की साड़ी पहनने वाली ।
रात्रिश्रमक्षामविपाण्डुवक्त्राः संप्राप्तहर्षाभ्युदयस्तरुण्यः । 4/6