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ऋतुसंहार
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मत्तद्विरेफपरिचुम्बितचारुपुष्पा मन्दानिलाकुलितनम्रमृदु प्रवालाः । 6/19
सुंदर फूलों को मतवाले भौरे चूम रहे हैं, और जिनके नये कोमल पत्ते मंद-मंद पवन में झूल रहे हैं।
2. मनोज्ञ - [ मन: + ज्ञ] सुहावना, प्रिय, रुचिकर, सुंदर, लावण्य ।
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सदा मनोज्ञं स्वनदुत्सुवोत्सुकं विकीर्णविस्तीर्णकलापशोभितम् । 2/6 सदा मीठी बोली बोलने वाले, गरजते हुए बादलों की शोभा पर रीझकर मगन हो उठने वाले और अपने पंख खोलकर फैलाने से सुहावने लगने वाले । काशांशुका विकचपद्ममनोज्ञवक्त्रा सोन्मादहंसरव नूपुरनादरम्या । 3/1 फूले हुए काँस के कपड़े पहने, मस्त हंसों की बोली के सुहावने बिछुए पहने और खिले हुए कमल के समान सुंदर मुख वाली ।
चञ्चन्मनोज्ञ शफरीरसनाकलापाः
पर्यन्त संस्थित सिताण्डज पङ्क्तिहारा: 1 3/3
उछलती हुई सुंदर मछलियाँ ही उनकी करधनी हैं, तीर पर बैठी हुई उजली चिड़ियों की पाँतें ही उनकी मालाएँ हैं।
शरदि कुमुदसङ्गाद्वायवो वान्ति शीता
विगत जलदवृन्दा दिग्विभागा मनोज्ञाः । 3/22
भिन्नाञ्जनप्रचयकान्ति नभो मनोज्ञं बन्धूकपुष्परजसाऽरुणिता च भूमिः । घुटे हुए आँजन की पिंडी जैसा नीला सुंदर आकाश और दुपहरिया के फूलों से लाल बनी हुई धरती ।
शरद् ऋतु में कमलों को छूता हुआ शीतल पवन बह रहा है, बादलों के उड़ जाने से सब ओर सुहावना लग रहा है।
करकमलमनोज्ञाः कान्तसंसक्तहस्ता
वदनविजितचन्द्राः काचिदन्यास्तरुण्यः । 3/23
चंद्रमा से भी अधिक सुंदर मुख वाली युवतियाँ अपने सुंदर कमल जैसे हाथ अपने प्रेमी के हाथों में डालकर ।
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निर्माल्यदाम परिभुक्तमनोज्ञगन्ध मघ्नऽपनीयघननील शिरोरुहान्ताः । 4/16 अपने सिर से वह मुरझाई हुई माला उतार रही हैं, जिसकी मधुर सुंगध का